Prasangvash:sankalit bhashan c.2
Material type:
- H 351.0313 VOH
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 351.0313 VOH (Browse shelf(Opens below)) | Available | 67165 |
विगत एक दशक के दौरान सूचना विभाग ने कुछ विचारपरक प्रकाशन भी किये है जिनका पाठकों ने स्वागत किया है। 'हिमालय पुत्रं पं. गोविन्द वल्लभ पंत के भाषणों का संकलन "शब्द जिन्होंने प्रेरित किया", आचार्य नरेन्द्र देव के जीवन एवं दर्शन को रेखांकित करने वाली पुस्तक, "आचार्य नरेन्द्र देव : युग और विचार" और डॉ. सम्पूर्णानन्द के महत्वपूर्ण लेखों एवं भाषणों का संकलन "समिधा" दस्तावेजी महत्व के प्रकाशन है। आचार्य नरेन्द्र देव, पंडित गोविन्द वल्लभ पंत, पंडित जवाहर लाल नेहरु, बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, रफी अहमद किदवई तथा डॉ. राम मनोहर लोहिया के जीवन और विचार से संबंधित प्रकाशन भी किये गये।
स्थायी महत्व के प्रकाशनों की श्रृंखला में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं संग्रहणीय प्रकाशन लगभग 2 वर्ष पूर्व "प्रसंगवश" नाम से किया गया था जिसमें महामहिम राज्यपाल श्री मोतीलाल वोरा के विचार संकलित हैं जो विभिन्न अवसरों पर प्रसंगवश व्यक्त किये गये थे। संस्कृति, पत्रकारिता, राष्ट्रीय आन्दोलन, साहित्य, पर्यावरण तथा विकास के विविध पक्षों को रेखांकित करने वाले जो भाषण इसमें संकलित किये गये हैं उनके अध्ययन से पता लगता है कि वे कितने सारगर्भित और बहुआयामी हैं।
इन भाषणों में भारतीय जीवन-मूल्यों के प्रति महामहिम को अगाध आस्था परिलक्षित होती है। समन्वयवादी संस्कृति के प्रति उनका अनुराग प्रकट होता है। "चौथे खम्भे" की भूमिका के बारे में उनका आदर्शवादी विचार सामने आता है। कल्याण कार्यक्रमों का अधिकाधिक लाभ गरीबों तक पहुंचाने का अटूट संकल्प दिखायी देता है तथा बहुमुखी विकास के लिए अनवरत प्रयास की उनको प्रतिबद्धता दिखाई देती है।
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