Ishq mein shahar hona
Material type:
- 9789388183437
- 891.43372 KUM
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | 891.43372 KUM (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168085 |
एक टीवी पत्रकार ने जैसे जिया शहर को, लिखी उसमें पलनेवाले प्रेम की लघु कथाओं की श्रृंखला/
"प्रेम हम सबको बेहतर शहरी बनाता है। हम शहर के हर अनजान कोने का सम्मान करने लगते हैं। उन कोनों में ज़िन्दगी भर देते हैं... आप तभी एक शहर को नए सिरे से खोजते हैं जब प्रेम में होते हैं। और प्रेम में होना सिर्फ़ हाथ थामने का बहाना ढूँढ़ना नहीं होता। दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है। 'लप्रेक' उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है।"
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