School management and health education
Material type:
- 9789383980635
- H 371.2 KOD
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 371.2 KOD (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168478 |
आधुनिक युग जटिलताओं, समस्याओं, भौतिकता तथा विज्ञान का युग है। इस युग में स्कूल बालकों को शिक्षा देने के लिए महत्त्वपूर्ण साधन है। प्राचीन युग में बालक परिवार में ही रहकर समस्त रीति-रिवाजों, विश्वासों, व्यवसायों, भाषा, धर्म तथा नैतिक मूल्यों एवं सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा ग्रहण कर लेते थे। आज वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में क्रान्ति उत्पन्न कर दी है। इसके परिणामस्वरूप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन हो रहे हैं जिनके कारण मानव के परस्पर संबंध भी व्यापक हो रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप हमारी विरासत (heritage) भी व्यापक हो गई है। इस व्यापक विरासत को हम आज अनौपचारिक साधनों की सहायता से एक पीढ़ी तक हस्तान्तरण नहीं कर सकते। इसका हस्तान्तरण केवल शिक्षा के माध्यम से ही किया जा सकता है। स्कूल ही एक ऐसा साधन है जिसमें बालक कुशल व्यक्तियों द्वारा सुव्यवस्थित वातावरण में सुव्यवस्थित ढंग से शिक्षा ग्रहण करने में सफल हो सकता है। विद्यालय एक ऐसी सामाजिक संस्था है जिसका निर्माण समाज के आदर्शों और हितों की पूर्ति के लिए किया गया है। अमेरिका के शिक्षा शास्त्री डॉ. जॉन डीवी (Dr. John dewey) ने स्कूल को 'लघु समाज' माना है। स्कूल को समाज का दर्पण भी कहा गया है जिसमें वर्तमान समाज की क्रियाएं, विचारधाराएं, आवश्यकताएं तथा संस्कृति छोटे पैमाने पर प्रतिबिम्बित होती हैं। परन्तु एक बात ध्यान देने योग्य है कि समाज का शुद्ध रूप ही स्कूल में प्रतिबिम्बित होना चाहिए। स्कूलों को भी समाज का आदर्श रूप प्रस्तुत करना चाहिए।
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