Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Bhashayee asmita aur Hindi

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; Vani; 1996Description: 228 pISBN:
  • 8170552419
DDC classification:
  • H 491.43 SHR 2nd ed.
Summary: भाषा किसी भी भाषाई समुदाय के सदस्यों को अन्दरूनी तौर पर जोड़ने और बाँधने वाली एक जबर्दस्त ताकत के साथ-साथ एक संगठित समुदाय में अलगाव और बिखराव पैदा करने वाला एक हथियार भी है। भाषा में जोड़ने और तोड़ने वाली ताकत एक ही चीज के दो पहलू हैं, और वह चीज है सामाजिक अस्मिता । हिन्दी न तो मात्र व्याकरण और न ही वह केवल विशिष्ट भाषिक संरचना है। भाषा के रूप में वह एक सामाजिक संस्था भी है, संस्कृति के रूप में वह सामाजिक प्रतीक भी है, और साहित्य के रूप में वह एक जातीय परम्परा भी है। इस पुस्तक में संकलित लेखों में सामाजिक अस्मिता और भारतीय बहुभाषिकता के सन्दर्भ में हिन्दी भाषा के कुछ ऐसे पहलू पर विचार किया गया है जो एक ओर विद्वानों के लिए बहस के मुद्दे बने हुए हैं और दूसरी तरफ हमारी भाषा नीति पर आज प्रश्नचिह्न बने हुए हैं।
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Gandhi Smriti Library H 491.43 SHR 2nd ed. (Browse shelf(Opens below)) Available 65616
Total holds: 0

भाषा किसी भी भाषाई समुदाय के सदस्यों को अन्दरूनी तौर पर जोड़ने और बाँधने वाली एक जबर्दस्त ताकत के साथ-साथ एक संगठित समुदाय में अलगाव और बिखराव पैदा करने वाला एक हथियार भी है। भाषा में जोड़ने और तोड़ने वाली ताकत एक ही चीज के दो पहलू हैं, और वह चीज है सामाजिक अस्मिता ।
हिन्दी न तो मात्र व्याकरण और न ही वह केवल विशिष्ट भाषिक संरचना है। भाषा के रूप में वह एक सामाजिक संस्था भी है, संस्कृति के रूप में वह सामाजिक प्रतीक भी है, और साहित्य के रूप में वह एक जातीय परम्परा भी है।
इस पुस्तक में संकलित लेखों में सामाजिक अस्मिता और भारतीय बहुभाषिकता के सन्दर्भ में हिन्दी भाषा के कुछ ऐसे पहलू पर विचार किया गया है जो एक ओर विद्वानों के लिए बहस के मुद्दे बने हुए हैं और दूसरी तरफ हमारी भाषा नीति पर आज प्रश्नचिह्न बने हुए हैं।

There are no comments on this title.

to post a comment.

Powered by Koha