Vartman natyashastra ka vishleshan
Material type:
- 9788119133154
- H 792.028 SIN
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 792.028 SIN (Browse shelf(Opens below)) | Available | 180325 |
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H 792 CHA ������ ��� �������� Ϣ�̢�;Bhartiya tatha pashatya rangmanch | H 792 TIW Manch pradarshan mein kalakaar evam shrota | H 792.015 JAI 2nd ed. Rang parampara:Bhartiya natya mein nirantarta aur badlav | H 792.028 SIN Vartman natyashastra ka vishleshan | H 792.09 ¸ÂÝÏèÔá ËÚÏÂÜÍ ÂÃÚ ÈÚÕè¸ÚÂèÍ Ï¢µÌ¢¸ | H 792.0952 Japani rang-parampara | H 792.0954 HIN Hindi rangmanch ka lokpaksh |
नाट्यशास्व की रचना देव-भाषा संस्कृत या देव वाणी में हुई है, जिसकी महिमा से पार नहीं पाया जा सकता है। नाट्योत्पत्ति, नाट्यशास्त्र क्षेत्र के अन्तर्गत नहीं आता। इस विषय का घनिष्ठ सम्बन्ध नृशास्त्र, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, शरीर विज्ञान, भाषा विज्ञान आदि से है। फिर नाट्योत्पत्ति सम्बन्धी जानकारी प्राप्त कर रूपक-संरचना समझने में कोई विशेष सहायता नहीं मिलती। यह मानवीय क्रिया है। इसका सम्बन्ध समाज-प्रकृति-परिवेश से है, प्रगति प्रक्रिया से है, समय और स्थान से है। भविष्य से सम्बन्धित विचारों और तदनुरूप आशाओं से रहित मनुष्य की कल्पना करना असम्भव है। मानव जाति हमेशा ही बेहतर भविष्य का स्वप्न देखती रही है। सामाजिक एवं आर्थिक विकास ही मानवजाति की मूल समस्या रही है। मनुष्य की गतिशीलता और उनके सक्रिय जीवन से भाषा की भाँति नाट्य का गहरा सम्बन्ध है। लेकिन ऐतिहासिक प्रगति या सामाजिक विकास के आधार को मान्यता न देकर धार्मिकता या दैवाधीनता को महत्त्व देकर इस नाट्यशास्त्र को बड़ा या विस्तृत आकार दिया गया है।
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