Vartman natyashastra ka vishleshan (Record no. 356968)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 02753nam a22001697a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field OSt
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20241022201749.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
ISBN 9788119133154
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 792.028 SIN
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name Singh, Shiv Murat
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Vartman natyashastra ka vishleshan
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication Prayagraj
Name of publisher Lokbharti
Year of publication 2024
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 256p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc नाट्यशास्व की रचना देव-भाषा संस्कृत या देव वाणी में हुई है, जिसकी महिमा से पार नहीं पाया जा सकता है। नाट्योत्पत्ति, नाट्यशास्त्र क्षेत्र के अन्तर्गत नहीं आता। इस विषय का घनिष्ठ सम्बन्ध नृशास्त्र, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, शरीर विज्ञान, भाषा विज्ञान आदि से है। फिर नाट्योत्पत्ति सम्बन्धी जानकारी प्राप्त कर रूपक-संरचना समझने में कोई विशेष सहायता नहीं मिलती। यह मानवीय क्रिया है। इसका सम्बन्ध समाज-प्रकृति-परिवेश से है, प्रगति प्रक्रिया से है, समय और स्थान से है। भविष्य से सम्बन्धित विचारों और तदनुरूप आशाओं से रहित मनुष्य की कल्पना करना असम्भव है। मानव जाति हमेशा ही बेहतर भविष्य का स्वप्न देखती रही है। सामाजिक एवं आर्थिक विकास ही मानवजाति की मूल समस्या रही है। मनुष्य की गतिशीलता और उनके सक्रिय जीवन से भाषा की भाँति नाट्य का गहरा सम्बन्ध है। लेकिन ऐतिहासिक प्रगति या सामाजिक विकास के आधार को मान्यता न देकर धार्मिकता या दैवाधीनता को महत्त्व देकर इस नाट्यशास्त्र को बड़ा या विस्तृत आकार दिया गया है।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term Criticism
9 (RLIN) 6771
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Holdings
Lost status Home library Current library Date acquired Cost, normal purchase price Full call number Accession Number Koha item type Public Note
  Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2024-10-22 700.00 H 792.028 SIN 180325 Books 700.00

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