Chal mere pitthu dunia dekhen
Material type:
- 9789388165433
- UK 915.404 JOS
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | UK 915.404 JOS (Browse shelf(Opens below)) | Checked out to TARUN KUMAR SHARMA (NNP00118) | 2023-01-14 | 168336 |
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UK 915.404 BYA c.2 Himalya ke aur | UK 915.404 DUB Himalaya ka Shikhar Tharkot | UK 915.404 FON Uttrakhand yaa Uttranchal | UK 915.404 JOS Chal mere pitthu dunia dekhen | UK 915.404 KAL Garhwal Himalaya me tirth yatra evam naya paryatan | UK 915.404 SHA �������ڡ | UK 915.42 AIT Footloose in the Himalaya |
कमल जोशी का नाम आते ही हर किसी के चेहरे पर एक मुस्कान का आ जाना लाजिमी है। वह था ही ऐसा एक अंतहीन घुमक्कड़ जैसा उसका जीवन, दुनिया के सबसे सुन्दरतम लोगों, सुन्दरतम दृश्यों को सहेजने के लिए हर वक्त तत्पर उसका कैमरा, देश-दुनिया में फैले हुए उसके दोस्त, बात-बात पर उसके ठहाकों के साथ उसकी मोहिल बातें। उसकी अंतहीन बातों में एक निश्छल उत्साह हर वक्त मौजूद रहता था चाहे वह कितनी ही विषम परिस्थितियों से दो-चार क्यों न चल रहा हो।
कमल ने अनेक यात्राएं कीं, कुछ समूहों में तो कुछ अकेले कुछ पैदल तो कुछ मोटरसाइकिल या अन्य सवारियों की मदद से उसे बहुत छोटी उम्र में दमे 1 की नामुराद बीमारी लग गयी थी जिससे आजिज आकर तंग होने के बजाय उसने उसे अपनी हर यात्रा का साथी बना लिया था। अपने कैमरे से बस थोड़ा सा ही ज्यादा खयाल उस बीमारी का रखा जाना होता था। उसी के हिसाब से खानपान और बाकी चीजों का परहेज इस पृष्ठभूमि में उसके यात्रावृत्तों को एक साथ पढ़िए तो आपको हैरत होती है कि उसके भीतर कैसी अदम्य इच्छाशक्ति रही होगी, जिसके बूते पर उसने अपनी घुमक्कड़ी के माध्यम से अपने उत्तराखण्ड, अपने देश समाज और अपने जन से ऐसी अन्तरंग पहचान बनाई।
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