Chal mere pitthu dunia dekhen
Joshi, Kamal.
Chal mere pitthu dunia dekhen - 1st ed. - Dehradun Samay Sakshay 2019 - 275 p.
कमल जोशी का नाम आते ही हर किसी के चेहरे पर एक मुस्कान का आ जाना लाजिमी है। वह था ही ऐसा एक अंतहीन घुमक्कड़ जैसा उसका जीवन, दुनिया के सबसे सुन्दरतम लोगों, सुन्दरतम दृश्यों को सहेजने के लिए हर वक्त तत्पर उसका कैमरा, देश-दुनिया में फैले हुए उसके दोस्त, बात-बात पर उसके ठहाकों के साथ उसकी मोहिल बातें। उसकी अंतहीन बातों में एक निश्छल उत्साह हर वक्त मौजूद रहता था चाहे वह कितनी ही विषम परिस्थितियों से दो-चार क्यों न चल रहा हो।
कमल ने अनेक यात्राएं कीं, कुछ समूहों में तो कुछ अकेले कुछ पैदल तो कुछ मोटरसाइकिल या अन्य सवारियों की मदद से उसे बहुत छोटी उम्र में दमे 1 की नामुराद बीमारी लग गयी थी जिससे आजिज आकर तंग होने के बजाय उसने उसे अपनी हर यात्रा का साथी बना लिया था। अपने कैमरे से बस थोड़ा सा ही ज्यादा खयाल उस बीमारी का रखा जाना होता था। उसी के हिसाब से खानपान और बाकी चीजों का परहेज इस पृष्ठभूमि में उसके यात्रावृत्तों को एक साथ पढ़िए तो आपको हैरत होती है कि उसके भीतर कैसी अदम्य इच्छाशक्ति रही होगी, जिसके बूते पर उसने अपनी घुमक्कड़ी के माध्यम से अपने उत्तराखण्ड, अपने देश समाज और अपने जन से ऐसी अन्तरंग पहचान बनाई।
9789388165433
Uttarakhand - Travel
UK 915.404 / JOS
Chal mere pitthu dunia dekhen - 1st ed. - Dehradun Samay Sakshay 2019 - 275 p.
कमल जोशी का नाम आते ही हर किसी के चेहरे पर एक मुस्कान का आ जाना लाजिमी है। वह था ही ऐसा एक अंतहीन घुमक्कड़ जैसा उसका जीवन, दुनिया के सबसे सुन्दरतम लोगों, सुन्दरतम दृश्यों को सहेजने के लिए हर वक्त तत्पर उसका कैमरा, देश-दुनिया में फैले हुए उसके दोस्त, बात-बात पर उसके ठहाकों के साथ उसकी मोहिल बातें। उसकी अंतहीन बातों में एक निश्छल उत्साह हर वक्त मौजूद रहता था चाहे वह कितनी ही विषम परिस्थितियों से दो-चार क्यों न चल रहा हो।
कमल ने अनेक यात्राएं कीं, कुछ समूहों में तो कुछ अकेले कुछ पैदल तो कुछ मोटरसाइकिल या अन्य सवारियों की मदद से उसे बहुत छोटी उम्र में दमे 1 की नामुराद बीमारी लग गयी थी जिससे आजिज आकर तंग होने के बजाय उसने उसे अपनी हर यात्रा का साथी बना लिया था। अपने कैमरे से बस थोड़ा सा ही ज्यादा खयाल उस बीमारी का रखा जाना होता था। उसी के हिसाब से खानपान और बाकी चीजों का परहेज इस पृष्ठभूमि में उसके यात्रावृत्तों को एक साथ पढ़िए तो आपको हैरत होती है कि उसके भीतर कैसी अदम्य इच्छाशक्ति रही होगी, जिसके बूते पर उसने अपनी घुमक्कड़ी के माध्यम से अपने उत्तराखण्ड, अपने देश समाज और अपने जन से ऐसी अन्तरंग पहचान बनाई।
9789388165433
Uttarakhand - Travel
UK 915.404 / JOS