Bhasha praudyogiki aur prayojanmoolak hindi (Record no. 357721)
[ view plain ]
000 -LEADER | |
---|---|
fixed length control field | 04236nam a22001937a 4500 |
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER | |
control field | OSt |
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION | |
control field | 20250203151746.0 |
008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
fixed length control field | 250203b |||||||| |||| 00| 0 eng d |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789355188502 |
040 ## - CATALOGING SOURCE | |
Transcribing agency | AACR-II |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | H 491.435 BHA |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Bhasha praudyogiki aur prayojanmoolak hindi |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. | |
Place of publication, distribution, etc. | New Delhi |
Name of publisher, distributor, etc. | Vani |
Date of publication, distribution, etc. | 2023 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 335p. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | आज हिन्दी विश्व के कोटि-कोटि जन-गण का कण्ठस्वर है उनकी पहचान है, सांस्कृतिक अस्मिता का मुखर स्वर है, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों का सेतु है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिन्दी अपने प्रयोजनमूलक स्वरूप की उपादेयता को स्पष्ट कर रही है। शासकीय एवं प्रशासनिक कार्यों से लेकर व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों तक मीडिया के बहुविध प्रयोगों तक, कम्प्यूटर से लेकर दृश्य-श्रव्य माध्यमों के विविध क्षेत्रों तक प्रयोजनमूलक हिन्दी अपना विस्तार दर्शा रही है। वैश्वीकरण के इस युग में इसकी व्याप्ति और भी विस्तृत हो रही है। इसके चलते बाज़ारवाद बढ़ा। आज वह व्यापार-वाणिज्य की भाषा बन गयी । हिन्दी के अख़बार और चैनल अंग्रेज़ी के अख़बार और चैनल के साथ क़दम से क़दम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। रोज़गार की सम्भावनाओं को लेकर प्रयोजनमूलक हिन्दी बहुउपयोगी भाषा बन गयी है । प्रयोजनमूलक हिन्दी को विस्तृत आयाम प्रदान करने में अनुवाद का योगदान महत्त्वपूर्ण है। मशीनी अनुवाद यानी कम्प्यूटर साधित अनुवाद की भी आज खूब चर्चा हो रही है । आज के प्रौद्योगिक युग में हिन्दी भाषा अपनी क्षमता एवं व्याप्ति के अनुसार प्रौद्योगिक विषयों के रूप धारण कर विकास के नये सोपानों को पार कर रही है। इस पुस्तक में प्रयोजनमूलक हिन्दी की उपादेयता को तीन खण्डों में विभाजित कर विश्लेषित किया गया है। कुल मिलाकर इसमें 26 आलेख शामिल हैं। प्रथम खण्ड ख़ासकर भाषा के प्रौद्योगिकीपरक पहलू से जुड़ा हुआ है। दूसरे खण्ड में हिन्दी के मीडिया से जुड़े स्वरूप का विश्लेषण करने का प्रयास लेखकों ने किया है और तीसरा खण्ड अनुवाद, राजभाषा तथा हिन्दी के अन्य प्रयोजनमूलक स्वरूप से सम्बन्धित है। |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Language-Hindi |
9 (RLIN) | 8955 |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Prayojanmoolak Hindi |
9 (RLIN) | 8956 |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Koha item type | Books |
Date last seen | Total Checkouts | Full call number | Barcode | Price effective from | Koha item type | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Withdrawn status | Home library | Current library | Date acquired | Cost, normal purchase price |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
2025-02-03 | H 491.435 BHA | 180177 | 2025-02-03 | Books | Not Missing | Dewey Decimal Classification | Not Damaged | Gandhi Smriti Library | Gandhi Smriti Library | 2025-02-03 | 700.00 |