Bhasha praudyogiki aur prayojanmoolak hindi
Bhasha praudyogiki aur prayojanmoolak hindi
- New Delhi Vani 2023
- 335p.
आज हिन्दी विश्व के कोटि-कोटि जन-गण का कण्ठस्वर है उनकी पहचान है, सांस्कृतिक अस्मिता का मुखर स्वर है, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों का सेतु है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिन्दी अपने प्रयोजनमूलक स्वरूप की उपादेयता को स्पष्ट कर रही है। शासकीय एवं प्रशासनिक कार्यों से लेकर व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों तक मीडिया के बहुविध प्रयोगों तक, कम्प्यूटर से लेकर दृश्य-श्रव्य माध्यमों के विविध क्षेत्रों तक प्रयोजनमूलक हिन्दी अपना विस्तार दर्शा रही है। वैश्वीकरण के इस युग में इसकी व्याप्ति और भी विस्तृत हो रही है। इसके चलते बाज़ारवाद बढ़ा। आज वह व्यापार-वाणिज्य की भाषा बन गयी । हिन्दी के अख़बार और चैनल अंग्रेज़ी के अख़बार और चैनल के साथ क़दम से क़दम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। रोज़गार की सम्भावनाओं को लेकर प्रयोजनमूलक हिन्दी बहुउपयोगी भाषा बन गयी है । प्रयोजनमूलक हिन्दी को विस्तृत आयाम प्रदान करने में अनुवाद का योगदान महत्त्वपूर्ण है। मशीनी अनुवाद यानी कम्प्यूटर साधित अनुवाद की भी आज खूब चर्चा हो रही है । आज के प्रौद्योगिक युग में हिन्दी भाषा अपनी क्षमता एवं व्याप्ति के अनुसार प्रौद्योगिक विषयों के रूप धारण कर विकास के नये सोपानों को पार कर रही है। इस पुस्तक में प्रयोजनमूलक हिन्दी की उपादेयता को तीन खण्डों में विभाजित कर विश्लेषित किया गया है। कुल मिलाकर इसमें 26 आलेख शामिल हैं। प्रथम खण्ड ख़ासकर भाषा के प्रौद्योगिकीपरक पहलू से जुड़ा हुआ है। दूसरे खण्ड में हिन्दी के मीडिया से जुड़े स्वरूप का विश्लेषण करने का प्रयास लेखकों ने किया है और तीसरा खण्ड अनुवाद, राजभाषा तथा हिन्दी के अन्य प्रयोजनमूलक स्वरूप से सम्बन्धित है।
9789355188502
Language-Hindi
Prayojanmoolak Hindi
H 491.435 BHA
आज हिन्दी विश्व के कोटि-कोटि जन-गण का कण्ठस्वर है उनकी पहचान है, सांस्कृतिक अस्मिता का मुखर स्वर है, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों का सेतु है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिन्दी अपने प्रयोजनमूलक स्वरूप की उपादेयता को स्पष्ट कर रही है। शासकीय एवं प्रशासनिक कार्यों से लेकर व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों तक मीडिया के बहुविध प्रयोगों तक, कम्प्यूटर से लेकर दृश्य-श्रव्य माध्यमों के विविध क्षेत्रों तक प्रयोजनमूलक हिन्दी अपना विस्तार दर्शा रही है। वैश्वीकरण के इस युग में इसकी व्याप्ति और भी विस्तृत हो रही है। इसके चलते बाज़ारवाद बढ़ा। आज वह व्यापार-वाणिज्य की भाषा बन गयी । हिन्दी के अख़बार और चैनल अंग्रेज़ी के अख़बार और चैनल के साथ क़दम से क़दम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। रोज़गार की सम्भावनाओं को लेकर प्रयोजनमूलक हिन्दी बहुउपयोगी भाषा बन गयी है । प्रयोजनमूलक हिन्दी को विस्तृत आयाम प्रदान करने में अनुवाद का योगदान महत्त्वपूर्ण है। मशीनी अनुवाद यानी कम्प्यूटर साधित अनुवाद की भी आज खूब चर्चा हो रही है । आज के प्रौद्योगिक युग में हिन्दी भाषा अपनी क्षमता एवं व्याप्ति के अनुसार प्रौद्योगिक विषयों के रूप धारण कर विकास के नये सोपानों को पार कर रही है। इस पुस्तक में प्रयोजनमूलक हिन्दी की उपादेयता को तीन खण्डों में विभाजित कर विश्लेषित किया गया है। कुल मिलाकर इसमें 26 आलेख शामिल हैं। प्रथम खण्ड ख़ासकर भाषा के प्रौद्योगिकीपरक पहलू से जुड़ा हुआ है। दूसरे खण्ड में हिन्दी के मीडिया से जुड़े स्वरूप का विश्लेषण करने का प्रयास लेखकों ने किया है और तीसरा खण्ड अनुवाद, राजभाषा तथा हिन्दी के अन्य प्रयोजनमूलक स्वरूप से सम्बन्धित है।
9789355188502
Language-Hindi
Prayojanmoolak Hindi
H 491.435 BHA