Jashn-E-Deewangi (Record no. 357436)
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fixed length control field | 03637nam a22002177a 4500 |
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER | |
control field | OSt |
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION | |
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
fixed length control field | 241214b |||||||| |||| 00| 0 eng d |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9788119989874 |
040 ## - CATALOGING SOURCE | |
Transcribing agency | AACR-II |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | H 891.431 MAH |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Mahiwal, Rahul Ranjan |
9 (RLIN) | 8138 |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Jashn-E-Deewangi |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. | |
Place of publication, distribution, etc. | Delhi |
Name of publisher, distributor, etc. | Radhakrishan |
Date of publication, distribution, etc. | 2024 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 197p. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | कहने की शैली जितनी पठनीय बन पाती है उतनी की लयात्मकता के साथ शायर अपने शब्दों को शायराना गीतों में आबद्ध कर पाता है। उल्लेखनीय है कि राहुल रंजन महिवाल की शायरी पर भी इस उक्ति का प्रभाव दिखाई देता है। शायरी, गीत और नज़्म की रचनात्मकता में पनपती शाब्दिक अनुभूतियों का आश्रय शायर को पहले-पहल मोहम्मद रफ़ी साहब के गाए शायराना गीतों को सुनकर मिला था। जो यह कहने के लिए पर्याप्त अवसर देता है कि इस संग्रह की शायरी भी फ़िल्मी अन्दाज़ की निश्छलता से लबालब भरी हुई है। ‘जश्न-ए-दीवानगी’ में शामिल सौ से अधिक ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों का विषय क्षेत्र पर्याप्त विविधता और आस्वाद से परिपूर्ण है। शायर न केवल इश्क़िया मनोभावों को इनमें रचने में सफल हुआ है बल्कि सामाजिक सरोकारों की लयात्मकता को चिह्नित करने का कार्य भी बख़ूबी करता है। कोई भी शायर जब अपने शब्दों को गढ़ रहा होता है तो वह अनुभूति के स्तर पर अपने पाठकों को झकझोरने और उनकी चेतना में नए अनुभवों की संरचना का दायित्व जगाने का कार्य करता ही है। उर्दू शायरी में यह कार्य जिस तत्परता से होता रहा है वह उल्लेखनीय है। इधर हिन्दी शायरी में भी यह प्रयास मुक़म्मल ढंग से होने लगा है। राहुल रंजन महिवाल अपनी पुस्तक ‘जश्न-ए-दीवानगी’ में शायरी विधा और उसकी पसंदगी का वही अनुभव पैदा करते हैं। जो अवश्य ही शायरी के रसिकों और सुधि पाठकों को सुरुचिपूर्ण लगेगा। |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Hindi Literature |
9 (RLIN) | 8139 |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Hindi-Poems |
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650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Hindi Shayari |
9 (RLIN) | 8141 |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Koha item type | Books |
Date last seen | Total Checkouts | Full call number | Barcode | Date last checked out | Price effective from | Koha item type | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Withdrawn status | Home library | Current library | Date acquired | Cost, normal purchase price |
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2025-04-15 | 1 | H 891.431 MAH | 180347 | 2025-03-27 | 2024-12-14 | Books | Not Missing | Dewey Decimal Classification | Not Damaged | Gandhi Smriti Library | Gandhi Smriti Library | 2024-12-14 | 695.00 |