Premchand ka aprapya sahitya : (Record no. 346076)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 03958nam a22001697a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field 0
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220206202214.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789352295128
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 891.4385 GOE
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Goenka, Kamal Kishor.
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Premchand ka aprapya sahitya :
Remainder of title khand 1
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Vani Prakashan
Date of publication, distribution, etc. 2016
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 703 p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. प्रेमचन्द की कालगत निकटत तथा उनके विपुल उपलब्ध साहित्य को देखते हुए हमें इसकी कल्पना भी नहीं होती कि उनकी अनेक रचनाएँ कालप्रवाह के साथ हमारी दृष्टि से ओझल हो सकती हैं। यह एक साहित्यिक दुर्भाग्य ही है कि धीरे-धीरे अपूर्ण प्रेमचन्द साहितय को ही पूर्ण माना जाने लगा है। इस अभाव की पूर्ति के रूप में 'प्रेमचन्द का अप्राप्य साहित्य' के ये दो खण्ड प्रकाशित किये गये हैं जो उनके अज्ञात, अप्राप्य, अप्रकाशित एवं सहज रूप से अनुपलब्ध साहित्य को पूरी प्रामाणिकता के साथ पाठकों को उपलब्ध कराते हैं। इनमें प्रेमचन्द की सैकड़ों पृष्ठों की ऐसी रचनाएँ भी हैं, जो कभी हिन्दी में प्रकाशित नहीं हुईं।<br/><br/>प्रथम खण्ड में अनुवाद, उपन्यास, कहानी, दस्तावेज़ तथा पुस्तक-समीक्षा इत्यादि शीर्षकों से अप्राप्य रचनाएँ दी गयी हैं। तथा द्वितीय खण्ड में प्रेमचन्द के पत्र, प्रेमचन्द के नाम पत्र, भूमिकाएँ, लेख एवं सम्पादकीय तथा परिशिष्ट ऐसी ही दुर्लभ सामग्री है। इस नये उपलब्ध साहित्य से न केवल प्रेमचन्द - साहित्य को पूर्णता एवं समग्रता में देखा-समझा जा सकेगा, बल्कि उनकी सर्जनात्मकता, चिन्तन-धारा आदि के सम्बन्ध में भी नयी दिशाओं का बोध हो सकेगा। प्रेमचन्द के अध्ययन, अध्यापन एवं विश्लेषण तथा मूल्यांकन में इस नये • अप्राप्य साहित्य का महत्त्व असंदिग्ध है।<br/><br/>इस महत् कार्य का संकलन-सम्पादन एवं लिप्यन्तरण किया है देश-विदेश में ख्याति प्राप्त, प्रेमचन्द के विशेषज्ञ डॉ. कमल किशोर गोयनका ने। डॉ. गोयनका की निरन्तर शोध-साधना के फलस्वरूप ही इतना विपुल अप्राप्य साहित्य पाठकों के सम्मुख आ सका है।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Hindi Sahitya - Premchand
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Home library Current library Date acquired Total checkouts Full call number Barcode Date last seen Price effective from Koha item type
  Not Missing Not Damaged   Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2022-02-06   H 891.4385 GOE 168011 2022-02-06 2022-02-06 Books

Powered by Koha