Kya Parichya du main apna
Arya, Chandra Bhanu
Kya Parichya du main apna - New Delhi Nyamati 2021 - 174 p.
"क्या परिचय दूं मैं अपना?" पुस्तक वस्तुतः दो पूर्व-प्रकाशित पुस्तकों तथा एक (अभी
तक) अप्रकाशित पांडुलिपि का संयुक्त प्रयास है। इस दृष्टि से यूँही? संबंधी भूमिका आपने
कृपापूर्वक पढ़ ली। "कुछ तीर : कुछ तुक्के" के संदर्भ में भी मैंने विनम्र निवेदन किया ही है।
"चिंतन का ढोंग" वस्तुतः "यूँही?" से बच गए निबंधों का संकलन ही है- ये सभी
निबंध उसी कार्यकाल में लिखे गए थे, जब यूँही? की कल्पना तक नहीं की गई थी।
अब तीनों पुस्तकों का समन्वित प्रयास आपकी सेवा में समर्पित है। आप ही मेरे कृपालु
पाठक हैं, आप ही मेरे सहृदय समीक्षक हैं, आप ही मेरे सच्चे मार्गदर्शक हैं। आपको
शत-शत नमन।
Essay
H 891.43 BHA
Kya Parichya du main apna - New Delhi Nyamati 2021 - 174 p.
"क्या परिचय दूं मैं अपना?" पुस्तक वस्तुतः दो पूर्व-प्रकाशित पुस्तकों तथा एक (अभी
तक) अप्रकाशित पांडुलिपि का संयुक्त प्रयास है। इस दृष्टि से यूँही? संबंधी भूमिका आपने
कृपापूर्वक पढ़ ली। "कुछ तीर : कुछ तुक्के" के संदर्भ में भी मैंने विनम्र निवेदन किया ही है।
"चिंतन का ढोंग" वस्तुतः "यूँही?" से बच गए निबंधों का संकलन ही है- ये सभी
निबंध उसी कार्यकाल में लिखे गए थे, जब यूँही? की कल्पना तक नहीं की गई थी।
अब तीनों पुस्तकों का समन्वित प्रयास आपकी सेवा में समर्पित है। आप ही मेरे कृपालु
पाठक हैं, आप ही मेरे सहृदय समीक्षक हैं, आप ही मेरे सच्चे मार्गदर्शक हैं। आपको
शत-शत नमन।
Essay
H 891.43 BHA