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Speeti men barish: laahul speeti ke jeevan ka yatra anveshan

By: Material type: TextTextPublication details: Noida Vagdevi 2021Description: 232 pISBN:
  • 9788185127835
Subject(s): DDC classification:
  • H NAT K
Summary: .... हम काजा के डाक बंगले में सो रहे थे तो लगा कि कोई खिड़की खड़का रहा है। आधी रात का भी पिछला पहर है। इस समय कौन है? लैम्प की लौ तेज की खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भीड़ दिया। उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था, सुन रहा था। अँधेरा, ठण्ड.... और हवा का झोंका आ रहा था। जैसे बर्फ़ का अंश लिये तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं। जैसे नगाड़े पर थाप पड़ रही थी। दुंगछेन को हवा बजा रही थी। महाशंख की ध्वनि घाटी में तैर रही थी। स्पीति की घाटी में वर्षा हो रही थी...... सुबह उठा। चाय पीते-पीते सुना कि स्पीति के लोग कह रहे हैं कि हमारी यात्रा शुभ है। स्पीति में बहुत दिनों बाद बारिश हुई है।
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.... हम काजा के डाक बंगले में सो रहे थे तो लगा कि कोई खिड़की खड़का रहा है।
आधी रात का भी पिछला पहर है। इस समय कौन है? लैम्प की लौ तेज की खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भीड़ दिया। उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था, सुन रहा था। अँधेरा, ठण्ड.... और हवा का झोंका आ रहा था। जैसे बर्फ़ का अंश लिये तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं। जैसे नगाड़े पर थाप पड़ रही थी। दुंगछेन को हवा बजा रही थी। महाशंख की ध्वनि घाटी में तैर रही थी। स्पीति की घाटी में वर्षा हो रही थी......
सुबह उठा। चाय पीते-पीते सुना कि स्पीति के लोग कह रहे हैं कि हमारी यात्रा शुभ है। स्पीति में बहुत दिनों बाद बारिश हुई है।

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