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Samanya mansik yogyata parikshan

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Shivank 2014Description: 190 pSubject(s): DDC classification:
  • H 181.4 GAU
Summary: व्यक्तिगत भिन्नता प्रत्येक प्राणी का प्राकृतिक गुण है। शारीरिक बनावट, रुचियों, स्वभावों, बुद्धि तथा व्यक्तित्व के अन्य गुणों रूप, रंग, आदि में एक व्यक्ति दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्तिगत भिन्नता न केवल मानव जाति में बल्कि पशु-पक्षियों में भी पायी जाती है। बुद्धि मानव के व्यक्तिगत भिन्नता को स्पष्ट करने में एक महत्त्वपूर्ण कारक है। बुद्धि के अन्तर्गत मुख्यतः सामान्य मानसिक योग्यताएँ, विशिष्ट योग्यताएँ तथा समूह योग्यताएँ आदि निहित होती हैं। सामान्य मानसिक योग्यताएँ प्रायः सभी व्यक्तियों में पायी जाती है, केवल इसकी मात्रा में अंतर होता है। कुछ मानसिक कार्यों में सामान्य मानसिक योग्यताओं की अधिक आवश्यकता होती है तो कुछ मानसिक कार्यों में विशिष्ट योग्यताओं की लेकिन प्रत्येक मानसिक क्रियाओं में सम्बन्धित विशिष्ट योग्यता के साथ-साथ सामान्य योग्यताओं की भी आवश्यकता होती है। वैयक्तिक भिन्नता के आधार पर ही बुद्धि को जानने का प्रयास किया जाता रहा है। उन्नीसवीं शताब्दी में बुद्धि को परिभाषित करने का प्रयास अनेक मनोवैज्ञानिकों ने किया। गाल्टन (1869) प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने मानसिक परीक्षणों का सूत्रपात किया। तत्पश्चात् कैटेल (1885) से लेकर गिल्फर्ड (1967) एवं अन्य मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को परिभाषित किया। बुद्धि के स्वरूप एवं संरचना की स्पष्ट करने का प्रयास किया परन्तु इनके मतों में भिन्नता रही है। इन मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गयी परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि को एक जन्मजात योग्यता मानी गयी है जो व्यक्ति की सफलता में सहायक होती है। इसकी सहायता से नवीन परिस्थितियों के साथ समायोजन किया जा सकता है। बुद्धि का संबंध अनुभवों के विश्लेषण, आवश्यकताओं, नियोजन तथा पुनः संगठन से होता है। हमारे दैनिक जीवन को सुचारू रूप से चलाने में ये सहायक होती है। बुद्धि अप्रत्यक्ष एवं अनेक गुणों का समुच्चय होता है।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 181.4 GAU (Browse shelf(Opens below)) Available 168521
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व्यक्तिगत भिन्नता प्रत्येक प्राणी का प्राकृतिक गुण है। शारीरिक बनावट, रुचियों, स्वभावों, बुद्धि तथा व्यक्तित्व के अन्य गुणों रूप, रंग, आदि में एक व्यक्ति दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्तिगत भिन्नता न केवल मानव जाति में बल्कि पशु-पक्षियों में भी पायी जाती है। बुद्धि मानव के व्यक्तिगत भिन्नता को स्पष्ट करने में एक महत्त्वपूर्ण कारक है। बुद्धि के अन्तर्गत मुख्यतः सामान्य मानसिक योग्यताएँ, विशिष्ट योग्यताएँ तथा समूह योग्यताएँ आदि निहित होती हैं। सामान्य मानसिक योग्यताएँ प्रायः सभी व्यक्तियों में पायी जाती है, केवल इसकी मात्रा में अंतर होता है। कुछ मानसिक कार्यों में सामान्य मानसिक योग्यताओं की अधिक आवश्यकता होती है तो कुछ मानसिक कार्यों में विशिष्ट योग्यताओं की लेकिन प्रत्येक मानसिक क्रियाओं में सम्बन्धित विशिष्ट योग्यता के साथ-साथ सामान्य योग्यताओं की भी आवश्यकता होती है। वैयक्तिक भिन्नता के आधार पर ही बुद्धि को जानने का प्रयास किया जाता रहा है।

उन्नीसवीं शताब्दी में बुद्धि को परिभाषित करने का प्रयास अनेक मनोवैज्ञानिकों ने किया। गाल्टन (1869) प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने मानसिक परीक्षणों का सूत्रपात किया। तत्पश्चात् कैटेल (1885) से लेकर गिल्फर्ड (1967) एवं अन्य मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को परिभाषित किया। बुद्धि के स्वरूप एवं संरचना की स्पष्ट करने का प्रयास किया परन्तु इनके मतों में भिन्नता रही है। इन मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गयी परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि को एक जन्मजात योग्यता मानी गयी है जो व्यक्ति की सफलता में सहायक होती है। इसकी सहायता से नवीन परिस्थितियों के साथ समायोजन किया जा सकता है। बुद्धि का संबंध अनुभवों के विश्लेषण, आवश्यकताओं, नियोजन तथा पुनः संगठन से होता है। हमारे दैनिक जीवन को सुचारू रूप से चलाने में ये सहायक होती है। बुद्धि अप्रत्यक्ष एवं अनेक गुणों का समुच्चय होता है।

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