Kuch kaale kuch ujle panne : kaidiyon ki dastaane
Material type:
- 9788186810676
- H 891.43 KHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 891.43 KHA (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168374 |
शमा खान की रचनाओं से गुजरते हुए मुझे खलील जिब्रान की कालजयी कहानी 'कब्रों का विलाप' का स्मरण हो आया जिसमें इन्साफ की गद्दी पर बैठा अमीर सामन्त घटनाओं की तफ्सील में जाए बिना एक खूबसूरत हट्टे-कट्टे नौजवान का सिर कलम करने का, एक बहुत सुंदर कोमलांगी को ‘संगसार’ करने और एक अधेड़ उम्र के कमज़ोर आदमी को ऊंचे पेड़ से लटकाने का हुक्म देता है, जिब्रान ने सवाल उठाए हैं: "वे कौन थे जिन्होंने चोर को दरख़्त पर लटकाया ? क्या आसमान से रिश्ते उतरे थे या वे वही इंसान थे जो हाथ आए माल को हड़प लेते हैं? और उस क़ातिल का सिर जिसने कलम किया था? और उस व्यभिचारिणी को किसने संगसार किया ? क्या उस काम के लिए पाक रूहें अपने स्थानों से आई थीं ? क्या वे वही लोग थे जो अंधेरे के पर्दे में बुरे काम किया करते हैं ?"
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