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Bharat mein banduwa majdoor

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Radhakrishna 1981Description: 158 pSubject(s): DDC classification:
  • H 331.54 DEV
Summary: बंधुआ मजदूर का मामला आज भी एकदम जीवंत और सशक्त है। आज भी बेतहाशा प्रचार और धूमधाम के साथ देश में जब किसी परियोजना का उद्घाटन किया जा रहा होता है—किसी जंगल में, देश की किसी मुलायम या कठोर धरती के हिस्से पर कोई अभागा परिवार राय गुलामी की जंजीर में कसता जा रहा होता है। यह रोग काफ़ी पुराना है और आज भी काफ़ी मजबूत रोग है। किसी भी कानून अथवा अध्यादेश ने बंधुवा मजदूरों की मदद नहीं की। राष्ट्रीय श्रम संस्थान ने यह साबित कर दिया है कि देश में लगभग 23 लाख बंधुआ मजदूर है। जब तक बंधुआ मजदूरों में चेतना नहीं पैदा होती और वे एकजुट होकर खड़े नहीं हो जाते, कोई भी उन्हें आजाद जिंदगी बिताने का हक नहीं देगा
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बंधुआ मजदूर का मामला आज भी एकदम जीवंत और सशक्त है। आज भी बेतहाशा प्रचार और धूमधाम के साथ देश में जब किसी परियोजना का उद्घाटन किया जा रहा होता है—किसी जंगल में, देश की किसी मुलायम या कठोर धरती के हिस्से पर कोई अभागा परिवार राय गुलामी की जंजीर में कसता जा रहा होता है। यह रोग काफ़ी पुराना है और आज भी काफ़ी मजबूत रोग है।

किसी भी कानून अथवा अध्यादेश ने बंधुवा मजदूरों की मदद नहीं की। राष्ट्रीय श्रम संस्थान ने यह साबित कर दिया है कि देश में लगभग 23 लाख बंधुआ मजदूर है। जब तक बंधुआ मजदूरों में चेतना नहीं पैदा होती और वे एकजुट होकर खड़े नहीं हो जाते, कोई भी उन्हें आजाद जिंदगी बिताने का हक नहीं देगा

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