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Bharat me bandhutava sangthan / by Iravati Karve ; translated by Rajendra Dwivedi and Hariharnath Dixit v.1981

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Chandigarh Haryana sahitya akadmi 1981Edition: 2ndDescription: 224 pSubject(s): DDC classification:
  • H 306.83 KAR 2nd. ed.
Summary: राष्ट्रभाषा हिन्दी और प्रादेशिक भाषाओंों को विश्वविद्यालयों में सर्वोच्च स्तर तक शिक्षा का माध्यम बनाने के प्रयत्नों की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि इन भाषाओं में ज्ञान-विज्ञान की विविध शाखाओं के पर्याप्त ग्रन्थ उपलब्ध हों । इस आवश्यकता की पूर्ति के लिये भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक विशेष योजना परिचालित की गई है। इस योजना के अनुसार इन भाषाओं में मौलिक ग्रंथों की रचना करवाई जा रही है तथा अंग्रेजी आदि भाषाओं में उपलब्ध छात्रोपयोगी साहित्य के अधिकृत अनुवाद भी सुलभ किए जा रहे हैं। इस महत्त्वपूर्ण कार्य को कम-से-कम समय में सम्पन्न करने के लिए भारत सरकार की प्रेरणा और आर्थिक सहायता से भी राज्यों में स्वायतशासी संस्थाओं की स्थापना की गई है। इन संस्थाओं की स्थापना से भारतीय भाषाओं में पुस्तक निर्माण के कार्य को बड़ा प्रोत्साहन मिलने लगा है और आशा की जाती है कि छात्रों को भारतीय भाषाओंों में सम्बन्धित विषय की वे प्रामाणिक पुस्तकें, जो उन्हें अब तक सामान्यत: बाजार में उपलब्ध नहीं थी, यथाशीघ्र सुलभ होंगी हरियाणा में पुस्तक निर्माण का यह कार्य हरियाणा साहित्य अकादमी के ग्रन्थ अकादमी प्रभाग के माध्यम से करवाया जा रहा है। यह हर्ष का विषय है कि प्रसिद्ध विद्वान् और अध्यापक इस कार्य में अकादमी को अपना भरसक सहयोग देने लगे हैं। 'भारत में बंधुत्व-संगठन' नामक प्रस्तुत पुस्तक का प्रथम हिंदी संस्करण अकादमी द्वारा 1973 में प्रकाशित किया गया था । पाठकों की मांग के दृष्टिगत इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित किया गया है। यह एशिया पब्लिशिंग हाउस, बम्बई द्वारा मूल अंग्रेजी में प्रकाशित 'किपि भर्गेनाइजेशन इन इंडिया' नामक पुस्तक का हिंदी रूपान्तरण है। स्व० डा० (श्रीमती) इरावती कर्वे द्वारा लिखित इस पुस्तक का अनुवाद की रावेन्द्र द्विवेदी, वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी, कृषि मंत्रालय एवं भूतपूर्व सहायक शिक्षा सलाहकार, संघीय शिक्षा मंत्रालय तथा प्रधान अनुसंधान अधिकारी वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली एवं श्री हरिहर नाथ दीक्षित, अध्यक्ष, समाज शास्त्र विभाग, मोतीराम बाबूराम कालेज, हल्द्वानी (उ० प्र०) ने मिलकर किया है। इस के विषय-पुनरीक्षक पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ के समाजशास्त्र विभाग के डर डॉ० श्यामलाल शर्मा हैं। पुस्तक का सम्पादन एवं सज्जा-संयोजन अकादमी के प्रकाशन अनुभाग द्वारा सम्पन्न हुआ है ।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 306.83 Kar 2nd. ed. (Browse shelf(Opens below)) Available 42494
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राष्ट्रभाषा हिन्दी और प्रादेशिक भाषाओंों को विश्वविद्यालयों में सर्वोच्च स्तर तक शिक्षा का माध्यम बनाने के प्रयत्नों की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि इन भाषाओं में ज्ञान-विज्ञान की विविध शाखाओं के पर्याप्त ग्रन्थ उपलब्ध हों ।

इस आवश्यकता की पूर्ति के लिये भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक विशेष योजना परिचालित की गई है। इस योजना के अनुसार इन भाषाओं में मौलिक ग्रंथों की रचना करवाई जा रही है तथा अंग्रेजी आदि भाषाओं में उपलब्ध छात्रोपयोगी साहित्य के अधिकृत अनुवाद भी सुलभ किए जा रहे हैं। इस महत्त्वपूर्ण कार्य को कम-से-कम समय में सम्पन्न करने के लिए भारत सरकार की प्रेरणा और आर्थिक सहायता से भी राज्यों में स्वायतशासी संस्थाओं की स्थापना की गई है। इन संस्थाओं की स्थापना से भारतीय भाषाओं में पुस्तक निर्माण के कार्य को बड़ा प्रोत्साहन मिलने लगा है और आशा की जाती है कि छात्रों को भारतीय भाषाओंों में सम्बन्धित विषय की वे प्रामाणिक पुस्तकें, जो उन्हें अब तक सामान्यत: बाजार में उपलब्ध नहीं थी, यथाशीघ्र सुलभ होंगी

हरियाणा में पुस्तक निर्माण का यह कार्य हरियाणा साहित्य अकादमी के ग्रन्थ अकादमी प्रभाग के माध्यम से करवाया जा रहा है। यह हर्ष का विषय है कि प्रसिद्ध विद्वान् और अध्यापक इस कार्य में अकादमी को अपना भरसक सहयोग देने लगे हैं।

'भारत में बंधुत्व-संगठन' नामक प्रस्तुत पुस्तक का प्रथम हिंदी संस्करण अकादमी द्वारा 1973 में प्रकाशित किया गया था । पाठकों की मांग के दृष्टिगत इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित किया गया है। यह एशिया पब्लिशिंग हाउस, बम्बई द्वारा मूल अंग्रेजी में प्रकाशित 'किपि भर्गेनाइजेशन इन इंडिया' नामक पुस्तक का हिंदी रूपान्तरण है। स्व० डा० (श्रीमती) इरावती कर्वे द्वारा लिखित इस पुस्तक का अनुवाद की रावेन्द्र द्विवेदी, वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी, कृषि मंत्रालय एवं भूतपूर्व सहायक शिक्षा सलाहकार, संघीय शिक्षा मंत्रालय तथा प्रधान अनुसंधान अधिकारी वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली एवं श्री हरिहर नाथ दीक्षित, अध्यक्ष, समाज शास्त्र विभाग, मोतीराम बाबूराम कालेज, हल्द्वानी (उ० प्र०) ने मिलकर किया है। इस के विषय-पुनरीक्षक पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ के समाजशास्त्र विभाग के डर डॉ० श्यामलाल शर्मा हैं। पुस्तक का सम्पादन एवं सज्जा-संयोजन अकादमी के प्रकाशन अनुभाग द्वारा सम्पन्न हुआ है ।

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