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Rishtedar

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Shivank Prakashan 214Description: 280 pISBN:
  • 9789382998365
Subject(s): DDC classification:
  • H MAZ I
Summary: मोरिस की पढ़ाई-लिखाई अच्छी हुई। देब्रेलमैन (हंगरी का पूर्वी भाग) के प्रसिद्ध कान्थिनिस्ट कॉलिज में इन्होंने शिक्षा पायी। किल में इनके मामा हेडमास्टर थे। वहाँ इन्हें पुस्तकालय की सुविधा थी। अतः इन्होंने पना पढ़ने का शौक वहाँ खूब पूरा किया। 'रिश्तेदार' समय लिखा गया उस रुनय पूर विश्व आर्थिक मन्दी के दौर से गुजर था। बीस से तीस के दशक के बीच के हंगरी की सच्चाई इस उपन्यास में देखने को मिलती है। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद का ज़माना था यह। आज के दौर में भी इस स्थिति में कहीं बदलाव नहीं आया है। बहुत ही सामयिक प्रतीत होती हैं इसमें घटी घटनाएँ। यह केवल हंगरी के समाज की झलक ही नहीं, हमारे अपने देश के आज के समाज का भी एक आईना है।
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मोरिस की पढ़ाई-लिखाई अच्छी हुई। देब्रेलमैन (हंगरी का पूर्वी भाग) के प्रसिद्ध कान्थिनिस्ट कॉलिज में इन्होंने शिक्षा पायी। किल में इनके मामा हेडमास्टर थे। वहाँ इन्हें पुस्तकालय की सुविधा थी। अतः इन्होंने पना पढ़ने का शौक वहाँ खूब पूरा किया।

'रिश्तेदार' समय लिखा गया उस रुनय पूर विश्व आर्थिक मन्दी के दौर से गुजर था। बीस से तीस के दशक के बीच के हंगरी की सच्चाई इस उपन्यास में देखने को मिलती है। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद का ज़माना था यह।

आज के दौर में भी इस स्थिति में कहीं बदलाव नहीं आया है। बहुत ही सामयिक प्रतीत होती हैं इसमें घटी घटनाएँ। यह केवल हंगरी के समाज की झलक ही नहीं, हमारे अपने देश के आज के समाज का भी एक आईना है।

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