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Prayojanmulak Hindi

By: Material type: TextTextPublication details: Kanpur; Chandralok Prakashan; 2000Description: 286 pDDC classification:
  • H 491.43 VAJ
Summary: प्रयोजनमूलक हिन्दी (Functional Hindi) का प्रयोग सामान्यतः हिन्दी की व्यवसायोत्व शिक्षा के लिए विश्व विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा किया जा रहा है। राजभाषा के रूप में हिन्दी की प्रतिष्ठा एवं राष्ट्रव्यापी प्रसार के पश्चात् तकनीकी, जनसंचार और राजकीय प्रयोजनों में हिन्दी के प्रयोग की अनिवार्यता सर्वविदित है। उन क्षेत्रों में भाषा का व्यवहार साहित्यिक भाषा से सर्वदा भिन्न होता है। नए संसाधनों, विज्ञापन और कम्प्यूटर के विस्तार से भाषा के समस्य और सामाजिक प्रयोग पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रयोग देविष्य के कारण भाषा-रूपों में भी विविधता आयो । इसके बावजूद हिन्दी में भाषा के अध्ययन का रूप पूर्ववत हो रहा। ऐसे में समस्त आयामों से संकलित ग्रन्थ की अपेक्षा विविध क्षेत्रों में कार्यरत प्रयोक्ता और व्यवसायोन्मुख हिन्दी के अध्येता निवार करते रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक इस दृष्टि से भाषिक अध्ययन के एक विशिष्ट क्षेत्र को पूरी तरह प्रस्तुत करती है।
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प्रयोजनमूलक हिन्दी (Functional Hindi) का प्रयोग सामान्यतः हिन्दी की व्यवसायोत्व शिक्षा के लिए विश्व विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा किया जा रहा है। राजभाषा के रूप में हिन्दी की प्रतिष्ठा एवं राष्ट्रव्यापी प्रसार के पश्चात् तकनीकी, जनसंचार और राजकीय प्रयोजनों में हिन्दी के प्रयोग की अनिवार्यता सर्वविदित है। उन क्षेत्रों में भाषा का व्यवहार साहित्यिक भाषा से सर्वदा भिन्न होता है। नए संसाधनों, विज्ञापन और कम्प्यूटर के विस्तार से भाषा के समस्य और सामाजिक प्रयोग पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रयोग देविष्य के कारण भाषा-रूपों में भी विविधता आयो । इसके बावजूद हिन्दी में भाषा के अध्ययन का रूप पूर्ववत हो रहा। ऐसे में समस्त आयामों से संकलित ग्रन्थ की अपेक्षा विविध क्षेत्रों में कार्यरत प्रयोक्ता और व्यवसायोन्मुख हिन्दी के अध्येता निवार करते रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक इस दृष्टि से भाषिक अध्ययन के एक विशिष्ट क्षेत्र को पूरी तरह प्रस्तुत करती है।

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