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Achhi baaten achhe log v.1997

By: Material type: TextTextPublication details: Dehradun; Sewak Ashram; 1997Description: 50pDDC classification:
  • H 370.7 TIW
Summary: "अच्छी बातें अच्छे लोग'' एक शोधपूर्ण, शिक्षाप्रद, पठनीय, उपयोगी व जनकल्याणी कृति है। जुगल तिवारी का लेखन शुरु से ही सकारात्मक रहा है। यही विशेषता उनके नाटकों में भी परिलक्षित होती है। एक और बात जिसने मुझे प्रभावित किया वह है लेखक का केवल उन्हीं विभूतियों के बारे में लिखना जिनसे उसका निकटतम सम्पर्क रहा। शायद इसी वजह से पुस्तक कहीं से भी अतिशयोक्ति का शिकार नहीं हो सकी। दूसरी विशेषता इस पुस्तक की कम से कम शब्दों और पृष्ठों में अधिकाधिक तथ्य, बातों व जानकारी का समावेश करना है। गागर में सागर भरने की कला में लेखक निपुण है। आज के तनाव भरे मशीनी युग में जब आदमी को स्वयम् तक के लिए फुर्सत का एक पल नसीब नहीं, तब मोटी-मोटी किताबें अपना अर्थ व महत्व खो चुकी हैं। क्योंकि उन्हें पाठक नहीं मिलता। यह बात लगता है लेखक भली-भाँति जानता है। एक और बात जो मैंने महसूस की वह है लेखक पर पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, बी०डी० पाण्डेय, राहुल सांस्कृत्यायन, मानवेन्द्रनाथ राय, राजा महेन्द्र प्रताप, जगन्नाथ शर्मा, प्रताप भैया, मनाल साहेब, तथा सैयद रशीद अहमद जैसी विभूतियों के मानवीय गुणों, कृत्यों, उपलब्धियों व जीवन दर्शन का प्रभाव। पुस्तक की भाषा व शैली भी सरल, प्रभावी, सटीक व मर्मस्पर्शी है । लेखक की यह कृति "बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय' साबित होगी ऐसा मेरा मानना है। स्वर्गीय मोहन राकेश की तरह लेखक वर्तमान सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था से असन्तुष्ट लगता है और शायद यही वह असंतोष है जिसने "अच्छी बातें अच्छे लोग" लिखने के लिए उसे उत्प्रेरित किया होगा। निश्चय ही यह पुस्तक लिख कर लेखक ने एक सराहनीय कार्य किया है। वाचनालयों के लिए भी यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी । इस पुस्तक को पढ़ते हुए हम जिस एहसास से बार-बार गुजरते हैं वह है "सत्यम् शिवम् सुन्दरम्' के प्रयास में प्रयासरत अनेक अनुभूतियाँ। अपने नाम के अनुरूप सुगन्ध से परिपूर्ण एक ऐसा पुष्प संकलन है यह पुस्तक जिसका हर पुष्प अपनी भीनी-भीनी महक किसी वसन्ती बयार की तरह प्रवाहित करता है जो मानस पटल पर अमिट छवि अंकित करती है।
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"अच्छी बातें अच्छे लोग'' एक शोधपूर्ण, शिक्षाप्रद, पठनीय, उपयोगी व जनकल्याणी कृति है। जुगल तिवारी का लेखन शुरु से ही सकारात्मक रहा है। यही विशेषता उनके नाटकों में भी परिलक्षित होती है। एक और बात जिसने मुझे प्रभावित किया वह है लेखक का केवल उन्हीं विभूतियों के बारे में लिखना जिनसे उसका निकटतम सम्पर्क रहा। शायद इसी वजह से पुस्तक कहीं से भी अतिशयोक्ति का शिकार नहीं हो सकी।

दूसरी विशेषता इस पुस्तक की कम से कम शब्दों और पृष्ठों में अधिकाधिक तथ्य, बातों व जानकारी का समावेश करना है। गागर में सागर भरने की कला में लेखक निपुण है। आज के तनाव भरे मशीनी युग में जब आदमी को स्वयम् तक के लिए फुर्सत का एक पल नसीब नहीं, तब मोटी-मोटी किताबें अपना अर्थ व महत्व खो चुकी हैं। क्योंकि उन्हें पाठक नहीं मिलता। यह बात लगता है लेखक भली-भाँति जानता है।

एक और बात जो मैंने महसूस की वह है लेखक पर पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, बी०डी० पाण्डेय, राहुल सांस्कृत्यायन, मानवेन्द्रनाथ राय, राजा महेन्द्र प्रताप, जगन्नाथ शर्मा, प्रताप भैया, मनाल साहेब, तथा सैयद रशीद अहमद जैसी विभूतियों के मानवीय गुणों, कृत्यों, उपलब्धियों व जीवन दर्शन का प्रभाव।

पुस्तक की भाषा व शैली भी सरल, प्रभावी, सटीक व मर्मस्पर्शी है । लेखक की यह कृति "बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय' साबित होगी ऐसा मेरा मानना है। स्वर्गीय मोहन राकेश की तरह लेखक वर्तमान सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था से असन्तुष्ट लगता है और शायद यही वह असंतोष है जिसने "अच्छी बातें अच्छे लोग" लिखने के लिए उसे उत्प्रेरित किया

होगा। निश्चय ही यह पुस्तक लिख कर लेखक ने एक सराहनीय कार्य किया है। वाचनालयों के लिए भी यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी ।

इस पुस्तक को पढ़ते हुए हम जिस एहसास से बार-बार गुजरते हैं वह है "सत्यम् शिवम् सुन्दरम्' के प्रयास में प्रयासरत अनेक अनुभूतियाँ। अपने नाम के अनुरूप सुगन्ध से परिपूर्ण एक ऐसा पुष्प संकलन है यह पुस्तक जिसका हर पुष्प अपनी भीनी-भीनी महक किसी वसन्ती बयार की तरह प्रवाहित करता है जो मानस पटल पर अमिट छवि अंकित करती है।

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