Maithili lokokit kosh
Material type:
- H 398.991454 MAI
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 398.991454 MAI (Browse shelf(Opens below)) | Available | 164139 |
विश्वक कोनहुँ भाषा साहित्यक विकासक्रम केर ज पर्यालोचन कयल जाइत अछि तँ एकटा तथ्य ध्रुव-सत्य जकाँ उभरि कए समक्ष आबि जाइत अछि जे कोनहुँ देश वा कालमे साहित्यिक वा परिनिष्ठित भाषासँ इतर जे रचना कएल जाइत अछि ओ लोकसाहित्य कहबैत अछिष आ यैह लोकसाहित्य भाषाक विकासक सोपान होइत अछि। कालक्रमानुसार विकासक सोपान के लाँघैत जखन यैह लोकसाहित्य शिष्ट समाज द्वारा समादृत होमय लागत अछि तखन यैह लोकसाहित्य शिष्ट साहित्यक एकटा अभिन्न अंग बनि जाइत अछि। एहि दुष्टिएँ लोकसाहित्य कोनहुँ भाषा-साहित्यक विकासक उद्गम स्थल भेल। लोकसाहित्यमे लोकोक्तिक एकटा विशिष्ट ओ विलक्षण स्थान अछि।
लोकोक्ति शब्दक सामान्य अर्थ होइत अछि लोकक-उक्ति, अर्थात् लोक वा समाजमे प्रचलित उक्ति । भाषामे लोकोक्तिक प्रयोग प्रायः कोनहुँ तथ्यक समर्थन वा खंडन अथवा पुष्टिकरण लेल कयल जाइत अछि।
विचाराभिव्यक्तिक साधन केर रूपमे जखन हम भाषाक प्रयोग करत छी तँ ओ अभिव्यक्तिसाधारण वाक्यक माध्यमे होइत अछि जकर पूर्णाभिव्यक्ति प्रायः प्रभावोत्पादक ओ आकर्षक नहि होइत अछि, मुदा जखन ओहि वाक्यमे हम लोकोक्तिक प्रयोग क' दैत छी तँ हमर भाषा अत्यंत रूचिकर, आकर्षक हृदयग्राहि भ' जाइत अछि। वाक्यमे लोकोक्तिक प्रयोगसँ ओहिमे एहन विलक्षणता आबि जाइत अछि जे थोड़बेक शब्दक प्रयोगसँ बेसि-से-बेसि भाव ओ विचारक सहज ओ सरल सम्प्रेषण संभव भ' जाइत अछि। किएक तँ लोकोक्तिक सीधा संबंध लोकाचार, लोकनीति, लोकधर्म ओ लोकोपदेश आदिसँ होइत अछि एहि लेल ई लोकजीवनक अत्यन्त सन्निकट अछि।
मैथिलि साहित्यमे लोकोक्तिक एकटा विशिष्ट परंपरा रहल अछि, एहि हेतु एकर विपुल संपदाक थाह लेब सरिपहुॅ समयसाध्य, श्रमसाध्य आ अंततः दुष्कर काज छल। मुदा प्रस्तुतः पुस्तक 'मैथिली लोकोक्ति कोश केर संकलन आ संपादनमें विद्वान लेखक जे अपन सहृदयताक परिचय देने छथि से मैथिली साहित्यक लेल अमूल्य अवदान सिद्ध होएत, एहन हमर विश्वास अछि।
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