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Fakir : Khwaja Muinuddin Chishti Ajmer wale

By: Material type: TextTextPublication details: Meerut Rahul Publishing House 2021Edition: 1st edDescription: 317 pISBN:
  • 9788188791996
Subject(s): DDC classification:
  • H 297.4 SIN
Summary: शैख़ शरीफ़ ज़न्दनी धर्मगुरु ही नहीं अपितु शैख़ मुईनउद्दीन चिश्ती का दादा पीर भी था। अपने दादा पीर की हत्या से मुईनउद्दीन चिश्ती बुरी तरह तिलमिला और बौखला गया। उसने जिहाद का सहारा लेकर पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध संघर्ष छेड़ दिया। 'जिहाद' का अर्थ व्यापक है-इसमें 'साम-दाम-दण्ड-भेद' ये चारों उपाय समाये हुए हैं। उसने प्रण करके घोषणा की-"मैं पिथौरा को जिन्दा गिरफ्तार करके इस्लामी लश्कर के हवाले करूंगा।" 'पृथ्वीराज रासो के अन्तिम युद्ध में उसने अपने इकत्तीस फ़क़ीरों के साथ रणक्षेत्र में पृथ्वीराज को घेरकर मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार उसने भारत में इस्लामी सत्ता का मार्ग प्रशस्त कर दिया। वस्तुत: भारत में मुस्लिम सत्ता की स्थापना का श्रेय शैख़ मुईनउद्दीन चिश्ती को ही है। जो इतिहासकार एवं मुसलमान लेखक भारत में इस्लामी सत्ता की स्थापना का श्रेय मुहम्मद ग़ोरी को देते हैं, उनका कथन पूर्णतः असत्य एवं भ्रामक है, इनमें से कोई भी लेखक या इतिहासकार पृथ्वीराज चौहान का समकालीन नहीं था। पृथ्वीराज के समकालीन तो चन्दबरदायी एवं शैख मुईनउद्दीन चिश्ती थे; अतः इन दोनों से सम्बन्धित साहित्य अथवा पुस्तकों को ही प्रामाणिक एवं सत्य माना जाना चाहिए। मुस्लिम जगत् की हस्तियों में ख़्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती का स्थान बहुत ऊँचा है। इतना बड़ा और महान् फ़क़ीर पृथ्वीराज को गिरफ्तार करने का झूठा दावा क्यों करेगा? लेखक ने अथक् परिश्रम एवं शोध द्वारा सम्बन्धित स्रोतों का अध्ययन करके इतिहास की कई भ्रान्तियों का निराकरण करने का सफल प्रयास किया है। लेखक का परिश्रम एवं प्रयास स्तुल्य है।
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इस्लामी सत्ता के वास्तविक संस्थापक।

शैख़ शरीफ़ ज़न्दनी धर्मगुरु ही नहीं अपितु शैख़ मुईनउद्दीन चिश्ती का दादा पीर भी था। अपने दादा पीर की हत्या से मुईनउद्दीन चिश्ती बुरी तरह तिलमिला और बौखला गया। उसने जिहाद का सहारा लेकर पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध संघर्ष छेड़ दिया। 'जिहाद' का अर्थ व्यापक है-इसमें 'साम-दाम-दण्ड-भेद' ये चारों उपाय समाये हुए हैं। उसने प्रण करके घोषणा की-"मैं पिथौरा को जिन्दा गिरफ्तार करके इस्लामी लश्कर के हवाले करूंगा।" 'पृथ्वीराज रासो के अन्तिम युद्ध में उसने अपने इकत्तीस फ़क़ीरों के साथ रणक्षेत्र में पृथ्वीराज को घेरकर मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार उसने भारत में इस्लामी सत्ता का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

वस्तुत: भारत में मुस्लिम सत्ता की स्थापना का श्रेय शैख़ मुईनउद्दीन चिश्ती को ही है। जो इतिहासकार एवं मुसलमान लेखक भारत में इस्लामी सत्ता की स्थापना का श्रेय मुहम्मद ग़ोरी को देते हैं, उनका कथन पूर्णतः असत्य एवं भ्रामक है, इनमें से कोई भी लेखक या इतिहासकार पृथ्वीराज चौहान का समकालीन नहीं था। पृथ्वीराज के समकालीन तो चन्दबरदायी एवं शैख मुईनउद्दीन चिश्ती थे; अतः इन दोनों से सम्बन्धित साहित्य अथवा पुस्तकों को ही प्रामाणिक एवं सत्य माना जाना चाहिए। मुस्लिम जगत् की हस्तियों में ख़्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती का स्थान बहुत ऊँचा है। इतना बड़ा और महान् फ़क़ीर पृथ्वीराज को गिरफ्तार करने का झूठा दावा क्यों करेगा?

लेखक ने अथक् परिश्रम एवं शोध द्वारा सम्बन्धित स्रोतों का अध्ययन करके इतिहास की कई भ्रान्तियों का निराकरण करने का सफल प्रयास किया है। लेखक का परिश्रम एवं प्रयास स्तुल्य है।

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