Shikshan-sansadhan v.1987
Material type:
- H 370.7 SHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 370.7 (Browse shelf(Opens below)) | Available | 51213 |
20 वीं शताब्दी के अन्तिम दशक की पीढ़ी यदि 21 वीं शताब्दी में प्रवेश कर स्वयं को उस सदी में समायोजित कर पाने में असमर्थ या असफल पाती है तो इसकी जिम्मेदारी आज की 'शिक्षा' (शिक्षा प्रणाली, सामग्री, शिक्षक) पर है। चिन्तन के इस महत्त्वपूर्ण सत्य ने 'शिक्षा' के सभी पक्षों अंगों को नई दिशा और गति देने के लिए आज के शिक्षा शास्त्रियों, शिक्षकों को विवश कर दिया है। भारत में उपलब्ध शिक्षण-साधनों का अधिकतम सदुपयोग करते हुए 21 वीं सदी के स्वस्थ, सच्चे नागरिक तैयार करने के लिए आज की शिक्षा प्रणाली को सक्षम बनाने की नितांत आवश्यकता है ।
हम अपने ज्ञान का 85% आंखों, कानों के माध्यम से ग्रहण करते हैं। ज्ञान ग्रहण की इस प्रक्रिया को शिक्षण-साधन सरल तथा सहज बनाते हैं। शिक्षण प्रणाली में शिक्षक तथा शिक्षार्थी दोनों ही सक्रिय रह कर अन्तः प्रक्रिया से जुड़े रहते हैं । इस अन्तः प्रक्रिया को शिक्षण साधनों से पर्याप्त बल मिलता है। कोमल और कठोर वर्ग (Software and Hardware) के शिक्षण साधनों की आवश्यकता तथा महत्त्व को अब सभी स्वीकारने लगे हैं किन्तु इन की संरचना तथा प्रयोग से सुपरिचित करानेवाली मुद्रित सामग्री हिन्दी भाषा में अभी भी पर्याप्त मात्रा तथा विविध रूपों में नहीं मिलती । भाषा 1, 2 - शिक्षण में विभिन्न शिक्षण-साधनों का सदुपयोग कैसे किया जाए - इस पक्ष पर तो बहुत कम लिखा गया है ।
भाषा-शिक्षण, भाषा और साहित्य शिक्षण सामग्री निर्माण से सम्बन्धित लेखन कार्य को आगे बढ़ाने की दिशा में यह एक ओर प्रयास है। भाषा शिक्षण के क्षेत्र में लगभग 30 वर्षों से जुड़े रहने के अनुभव तथा चिरंजीव वेदमित्र शर्मा के इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रोनिक्स क्ष ेत्र के संद्धान्तिक तथा प्रायोगिक ज्ञान का लाभ उठाते हुए इस पुस्तक की रचना सम्भव हो सकी है। पाश्चात्य देशों में प्रचलित सम्बन्धित कुछ सामग्री का लाभ भी उठाया गया है।
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