Baingan: samaj, bhasha evam lok sahitya
Material type:
- 978-93-90743-62-9
- UK 398.204 RAW
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | UK 398.204 RAW (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168277 |
प्रस्तुत पुस्तक 'बंगाण: समाज, भाषा एवं लोक साहित्य' में एक भाषा के रूप में बंगाणी का समुचित विश्लेषण एवं मूल्यांकन नहीं हो पाया है, लेकिन कहावतों- मुहावरों, पहेलियों, लोकगीतों, लोककथाओं तथा शब्द समूह के माध्यम से बंगाणी भाषा के साहित्य के संकलन का महत्वपूर्ण काम लेखक ने किया है। बंगाणी लोक साहित्य के अन्तर्गत संकलित छोड़े, लामण, बाजू, हारूल आदि विविध विधाओं का सौन्दर्य हमें एक भिन्न लोक में पहुंचा देता है। मेले, त्यौहार, खेल, संस्कार आदि के द्वारा बंगाणी समाज की जीवन शैली को प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही अनाज, बर्तन, औजार, जीव-जन्तु आदि विविध शीर्षकों के अन्तर्गत जो शब्द सामग्री दी गई है तथा लुप्तप्राय शब्दों की सूची दी गई है, वह निश्चय ही महत्वपूर्ण है।
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