Jaunpur ki lokkathaye
Material type:
- 978-81-86810-17-10
- UK 891.4303 PUN
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | UK 891.4303 PUN (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168396 |
लोककथा शब्द प्राय: लोक प्रचलित उन कथाओं के लिए व्यक्त होता है, जो मौखिक व अलिखित परम्परा के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रेषित होती हैं। यह कथाएं अलग-अलग रूप में अलग-अलग तरीके से प्रस्तुत होती हैं। साहित्य के अध्येताओं ने लोकथाओं को धार्मिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक आधार पर वर्गीकृत किया है।
लोककथाएं हमारे धार्मिक ग्रंथों से लेकर हमारे परिवेश खेत-खलिहानों, नदी-नालों, पर्वत शिखरों में बिखरी हुई हैं। विश्व के हर प्रान्त का अपना लोक साहित्य है। लोककथा चाहे किसी भी क्षेत्र की हो, उसमें स्थान व भाव का भले ही भेद होता है लेकिन उसकी मौलिकता एक समान होती है। लोककथाएं घटना प्रधान होते हुए भी मागदर्शन करती हैं।
हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी कथाओं, लोक कथाओं का वर्णन आया है। वहाँ भी समाज को प्रेरणा देने के लिए कथाओं को आगे रखा गया है। हमारे धार्मिक ग्रन्थों में भी कई प्रसंग ऐसे आए हैं जिनमें कोई न कोई किसी न किसी रूप में कथा सुनाता है। लोककथाएं समाज को दृष्टि देने में भी सहायक होती हैं। लोककथाएं स्थानीय घटनाओं, दुर्घटनाओं की संवाहक भी होती हैं। लोककथाओं में लोकजीवन के सभी तत्व मौजूद रहते हैं।
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