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Dunia mere aage

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Setu Prakashan 2021Edition: 1st edDescription: 152 pISBN:
  • 9789391277994
Subject(s): DDC classification:
  • H PRI
Summary: 'दुनिया मेरे आगे' कवि-कथाकार एवं पत्रकार प्रियदर्शन के एक खास तरह के लेखों का संकलन है जिन्हें स्मृति-आलेख कहा जा सकता है। इस किताब में जिन्हें याद किया गया है वे साहित्य और पत्रकारिता के बड़े चमकदार नाम हैं-निर्मल वर्मा, नामवर सिंह, राजेंद्र यादव, केदारनाथ सिंह, पंकज सिंह, महाश्वेता देवी, कृष्णा सोबती, रमणिका गुप्ता, अर्चना वर्मा, विष्णु खरे, प्रभाष जोशी, राजकिशोर, आलोक तोमर, अरुण कुमार पानीबाबा। अलबत्ता पर्यावरणविद अनुपम मिश्र, फिल्मकार के. बिक्रम सिंह और ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह भी मौजूद हैं। अमूमन श्रद्धांजलि के तौर पर लिखे जाने वाले लेखों में अतिरिक्त महिमामंडन और उच्छल भावुकता का उद्रेक रहता है। लेकिन ये स्मृति-आलेख इस दोष से सर्वथा मुक्त हैं। इन्हें संस्मरण की तरह भी पढ़ा जा सकता है, कहानी की तरह भी, और व्यक्तित्व केंद्रित लेख की तरह भी। प्रसंग इस तरह चुने और पिरोये गये हैं कि रोचकता बराबर बनी रहती है, और प्रसंग पाठक की स्मृति में रच-बस जाते हैं। पर ये आलेख जितने संस्मरणपरक हैं उतने ही विचारपरक भी, जिनके बारे में लिखे गये हैं उनकी स्मृति को ताजा करने के साथ ही उनकी शख़्सियत और उनके अवदान की गहरी समझ भी साझा करते हैं। प्रवाह और पठनीयता के गुण से संपन्न आवेगपूर्ण गद्य के लिए भी यह पुस्तक पढ़ी जानी चाहिए।
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'दुनिया मेरे आगे' कवि-कथाकार एवं पत्रकार प्रियदर्शन के एक खास तरह के लेखों का संकलन है जिन्हें स्मृति-आलेख कहा जा सकता है। इस किताब में जिन्हें याद किया गया है वे साहित्य और पत्रकारिता के बड़े चमकदार नाम हैं-निर्मल वर्मा, नामवर सिंह, राजेंद्र यादव, केदारनाथ सिंह, पंकज सिंह, महाश्वेता देवी, कृष्णा सोबती, रमणिका गुप्ता, अर्चना वर्मा, विष्णु खरे, प्रभाष जोशी, राजकिशोर, आलोक तोमर, अरुण कुमार पानीबाबा। अलबत्ता पर्यावरणविद अनुपम मिश्र, फिल्मकार के. बिक्रम सिंह और ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह भी मौजूद हैं। अमूमन श्रद्धांजलि के तौर पर लिखे जाने वाले लेखों में अतिरिक्त महिमामंडन और उच्छल भावुकता का उद्रेक रहता है। लेकिन ये स्मृति-आलेख इस दोष से सर्वथा मुक्त हैं। इन्हें संस्मरण की तरह भी पढ़ा जा सकता है, कहानी की तरह भी, और व्यक्तित्व केंद्रित लेख की तरह भी। प्रसंग इस तरह चुने और पिरोये गये हैं कि रोचकता बराबर बनी रहती है, और प्रसंग पाठक की स्मृति में रच-बस जाते हैं। पर ये आलेख जितने संस्मरणपरक हैं उतने ही विचारपरक भी, जिनके बारे में लिखे गये हैं उनकी स्मृति को ताजा करने के साथ ही उनकी शख़्सियत और उनके अवदान की गहरी समझ भी साझा करते हैं। प्रवाह और पठनीयता के गुण से संपन्न आवेगपूर्ण गद्य के लिए भी यह पुस्तक पढ़ी जानी चाहिए।

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