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Bharat akhandan

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Gurugram, Garuda prakeshan 2022.Description: 373 pISBN:
  • 9798885750035
Subject(s): DDC classification:
  • H 294 DIX
Summary: ‘भारत अखण्डन: अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम पर लिए गए निर्णय’ विभाजन के कारणों पर डॉ बी आर अम्बेडकर के विश्लेषण, तथा ‘पृथक राष्ट्र’ के इस्लामी मतवादीय सिद्धांत (जो सफल हुआ) – कि मुसलमान किसी गैर-मुसलमान शासन में अल्पसंख्यक की भाँति रहना कदापि स्वीकार नहीं करते – इन बातों का आधार लेते हुए आगे बढ़ती है। एक विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण करते हुए श्री दीक्षित सीएए-विरोधी प्रदर्शनों और तदन्तर हुए दंगों की जड़ तक जाते हैं, जिनका प्रारूप वही था जिसे डॉ अम्बेडकर ने “राजनीति की गैंगस्टर पद्धति” की संज्ञा दी थी। यह पुस्तक ‘शांतिप्रिय सूफियों’, और यह कि मुसलमान भारत में इस कारण रुके क्योंकि उन्होंने ‘पंथनिरपेक्ष भारत’ की अवधारणा को चुना था, इन राजनैतिक लीपा-पोती से परिपूर्ण मिथकों को ध्वस्त करती है। अनुच्छेद 370 के लिए श्री दीक्षित कश्मीर के इतिहास को तबसे खँगालते हैं, जब सुल्तान सिकंदर बुतशिकन (मूर्ति-भंजक) के अधीन कश्मीर से पहला बहिष्करण हुआ, और धरती के इस मनोहर स्वर्ग का इस्लामीकरण प्रारम्भ हुआ। 1989-90 का कश्मीरी हिन्दू बहिष्करण वास्तव में सातवाँ था। यह पुस्तक उस इस्लामी रणनीति के अंतस में झाँकती है, जो निरन्तर जिहाद में विश्वास करती है, समाज को अर्ध-सत्य बता कर उन्हें दिग्भ्रमित करती है, ताकि उसका अंतिम लक्ष्य, जो कि दार-उल-इस्लाम बनाना है, प्राप्त किया जा सके।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 294 DIX (Browse shelf(Opens below)) Checked out to Narmada Hostel OT Launge (NARMADA) 2023-09-29 168239
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‘भारत अखण्डन: अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम पर लिए गए निर्णय’ विभाजन के कारणों पर डॉ बी आर अम्बेडकर के विश्लेषण, तथा ‘पृथक राष्ट्र’ के इस्लामी मतवादीय सिद्धांत (जो सफल हुआ) – कि मुसलमान किसी गैर-मुसलमान शासन में अल्पसंख्यक की भाँति रहना कदापि स्वीकार नहीं करते – इन बातों का आधार लेते हुए आगे बढ़ती है। एक विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण करते हुए श्री दीक्षित सीएए-विरोधी प्रदर्शनों और तदन्तर हुए दंगों की जड़ तक जाते हैं, जिनका प्रारूप वही था जिसे डॉ अम्बेडकर ने “राजनीति की गैंगस्टर पद्धति” की संज्ञा दी थी। यह पुस्तक ‘शांतिप्रिय सूफियों’, और यह कि मुसलमान भारत में इस कारण रुके क्योंकि उन्होंने ‘पंथनिरपेक्ष भारत’ की अवधारणा को चुना था, इन राजनैतिक लीपा-पोती से परिपूर्ण मिथकों को ध्वस्त करती है।

अनुच्छेद 370 के लिए श्री दीक्षित कश्मीर के इतिहास को तबसे खँगालते हैं, जब सुल्तान सिकंदर बुतशिकन (मूर्ति-भंजक) के अधीन कश्मीर से पहला बहिष्करण हुआ, और धरती के इस मनोहर स्वर्ग का इस्लामीकरण प्रारम्भ हुआ। 1989-90 का कश्मीरी हिन्दू बहिष्करण वास्तव में सातवाँ था।

यह पुस्तक उस इस्लामी रणनीति के अंतस में झाँकती है, जो निरन्तर जिहाद में विश्वास करती है, समाज को अर्ध-सत्य बता कर उन्हें दिग्भ्रमित करती है, ताकि उसका अंतिम लक्ष्य, जो कि दार-उल-इस्लाम बनाना है, प्राप्त किया जा सके।

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