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Heartfulness way: heart-based meditations for spiritual transformation

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Chennai Eka 2018Description: 195 pISBN:
  • 9789387578081
Subject(s): DDC classification:
  • H 181.45 PAT
Summary: हम यह कभी नहीं जान पाते कि जीवन में हमारे लिए क्या नियत है और अगले पल क्या होने वाला है। यही जीवन के रहस्य और उसके सौन्दर्य का अभिन्न अंग है। इस धरती पर अपने जीवन के छह दशकों के दौरान मुझे अनेक आशीर्वाद प्राप्त हुए। उनमें से एक सन् 1976 में तब मिला जब मैं युवा था और भारत के अहमदाबाद शहर में फ़ार्मेसी की पढ़ाई कर रहा था। मैं अपने कॉलेज के एक साथी का आभारी हूँ जिसकी वजह से मैं हार्टफुलनेस ध्यान पद्धति से परिचित हो पाया। उसके कुछ ही महीनों बाद मैं एक विलक्षण व्यक्ति के सम्मुख आया जो तभी मेरे प्रथम गुरु बन गये और जिन्होंने इस अभ्यास में मेरा मार्गदर्शन किया। उनका नाम रामचन्द्र था और हम उन्हें 'बाबूजी' कहते थे। पहली बार में ही हार्टफुलनेस ध्यान करने का मुझ पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि मैं समझ गया कि मुझे अपने जीवन की दिशा व सहारा मिल गया है। लेकिन बाबूजी से मुलाकात का असर उससे भी कहीं परे का था। कुछ ऐसा जो अपने सार में इतना कीमती और सूक्ष्म था कि उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। हालाँकि तब से लेकर मेरे भीतरी संसार में कई जगत् और आयाम खुल चुके हैं लेकिन पिछले चार दशकों के दौरान जो प्रकट हुआ है, उसका यह मात्र एक पहलू है। इससे भी अद्भुत तो रोजमर्रा के गुणों की वह दौलत है जो हार्टफुलनेस अभ्यास के माध्यम से आयी है। ये गुण हैं—प्रेम, स्वीकार्यता, विनम्रता, सेवाभावना, करुणा, समानुभूति और अस्तित्व के प्रति एक उच्च उद्देश्य.
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Books Books Gandhi Smriti Library H 181.45 PAT (Browse shelf(Opens below)) Available 168225
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हम यह कभी नहीं जान पाते कि जीवन में हमारे लिए क्या नियत है और अगले पल क्या होने वाला है। यही जीवन के रहस्य और उसके सौन्दर्य का अभिन्न अंग है। इस धरती पर अपने जीवन के छह दशकों के दौरान मुझे अनेक आशीर्वाद प्राप्त हुए। उनमें से एक सन् 1976 में तब मिला जब मैं युवा था और भारत के अहमदाबाद शहर में फ़ार्मेसी की पढ़ाई कर रहा था। मैं अपने कॉलेज के एक साथी का आभारी हूँ जिसकी वजह से मैं हार्टफुलनेस ध्यान पद्धति से परिचित हो पाया। उसके कुछ ही महीनों बाद मैं एक विलक्षण व्यक्ति के सम्मुख आया जो तभी मेरे प्रथम गुरु बन गये और जिन्होंने इस अभ्यास में मेरा मार्गदर्शन किया। उनका नाम रामचन्द्र था और हम उन्हें 'बाबूजी' कहते थे।

पहली बार में ही हार्टफुलनेस ध्यान करने का मुझ पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि मैं समझ गया कि मुझे अपने जीवन की दिशा व सहारा मिल गया है। लेकिन बाबूजी से मुलाकात का असर उससे भी कहीं परे का था। कुछ ऐसा जो अपने सार में इतना कीमती और सूक्ष्म था कि उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। हालाँकि तब से लेकर मेरे भीतरी संसार में कई जगत् और आयाम खुल चुके हैं लेकिन पिछले चार दशकों के दौरान जो प्रकट हुआ है, उसका यह मात्र एक पहलू है। इससे भी अद्भुत तो रोजमर्रा के गुणों की वह दौलत है जो हार्टफुलनेस अभ्यास के माध्यम से आयी है। ये गुण हैं—प्रेम, स्वीकार्यता, विनम्रता, सेवाभावना, करुणा, समानुभूति और अस्तित्व के प्रति एक उच्च उद्देश्य.

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