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Laghu udhyogon ka arthashastra

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; Classical; 1996Description: 256 pSubject(s): DDC classification:
  • H 338.642 PAN
Summary: वर्तमान में किसी भी देश की आर्थिक प्रगति में लघु उद्योग अति महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं इन उद्योगों ने तीव्र औद्योगीकरण की प्रक्रिया में भी अपनी महत्ता सिद्ध की है आज यह उद्योग सामाजिक आर्थिक प्रगति तथा संतुलित क्षेत्रवार विकास के लिए एक शक्तिशाली औजार बन गया है उपभोक्ता वस्तुओं की अतिशीघ्र आपूर्ति, अत्यअधिक संख्या को रोजगार, राष्ट्रीय आय का समान वितरण, दुर्लभ वित्तीय संसाधन व उपयुक्त तकनीक का बेहतर प्रयोग, क्षेत्रीय जनसंख्या के पलायन को रोकना, श्रम गहन व पूंजी बचत कारिणी तकनीक, कम परिपाक अवधि, प्रारंभ करने हेतु कम पूंजी की आवश्यकता, स्थानीय तकनीक व कौशल पर आधारित होने की वजह से ये भारतीय समाजार्थिक व्यवस्था हेतु सर्वथा अनुकुल है प्रस्तुत पुस्तक वाराणसी जो भारत का एक प्रतिनिधि जनपद है तथा अपने लघु औद्योगिक उत्पादों हेतु विश्व विख्यात है पर गहन सर्वेक्षण करके तैयार किया गया है । इसमें लघु उद्योगों की विभिन्न वर्षो में संमृद्धि, उत्पादन की मात्रा, विभिन्न आगतों का उत्पादन पर प्रभाव, लागत संरचना व लाभ, विनियोग, वित्त के स्रोत, पूंजी उत्पाद अनुपात, रोजगार की मात्रा, पूंजी श्रम व उत्पाद श्रम अनुपातों की गणना, उत्पादकता, विपणन व अतिरिक्त क्षमता का विश्लेषण तथा इन उद्योगों को और भी प्रमाद कारी व लाभदायक बनाने हेतु तत्वों की खोज की गयी है। यह पुस्तक अध्यापकों, पुस्तक छात्रों, व्यवसायियों, नीति नियामकों को उच्च अध्यापन में मदद करेगी तथा इन उद्योगों के विकास व कार्यकरण हेतु नीति बनाने में भी मददगार साबित होगी ।
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वर्तमान में किसी भी देश की आर्थिक प्रगति में लघु उद्योग अति महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं इन उद्योगों ने तीव्र औद्योगीकरण की प्रक्रिया में भी अपनी महत्ता सिद्ध की है आज यह उद्योग सामाजिक आर्थिक प्रगति तथा संतुलित क्षेत्रवार विकास के लिए एक शक्तिशाली औजार बन गया है उपभोक्ता वस्तुओं की अतिशीघ्र आपूर्ति, अत्यअधिक संख्या को रोजगार, राष्ट्रीय आय का समान वितरण, दुर्लभ वित्तीय संसाधन व उपयुक्त तकनीक का बेहतर प्रयोग, क्षेत्रीय जनसंख्या के पलायन को रोकना, श्रम गहन व पूंजी बचत कारिणी तकनीक, कम परिपाक अवधि, प्रारंभ करने हेतु कम पूंजी की आवश्यकता, स्थानीय तकनीक व कौशल पर आधारित होने की वजह से ये भारतीय समाजार्थिक व्यवस्था हेतु सर्वथा अनुकुल है प्रस्तुत पुस्तक वाराणसी जो भारत का एक प्रतिनिधि जनपद है तथा अपने लघु औद्योगिक उत्पादों हेतु विश्व विख्यात है पर गहन सर्वेक्षण करके तैयार किया गया है । इसमें लघु उद्योगों की विभिन्न वर्षो में संमृद्धि, उत्पादन की मात्रा, विभिन्न आगतों का उत्पादन पर प्रभाव, लागत संरचना व लाभ, विनियोग, वित्त के स्रोत, पूंजी उत्पाद अनुपात, रोजगार की मात्रा, पूंजी श्रम व उत्पाद श्रम अनुपातों की गणना, उत्पादकता, विपणन व अतिरिक्त क्षमता का विश्लेषण तथा इन उद्योगों को और भी प्रमाद कारी व लाभदायक बनाने हेतु तत्वों की खोज की गयी है। यह पुस्तक अध्यापकों, पुस्तक छात्रों, व्यवसायियों, नीति नियामकों को उच्च अध्यापन में मदद करेगी तथा इन उद्योगों के विकास व कार्यकरण हेतु नीति बनाने में भी मददगार साबित होगी ।

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