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Mahilaye aur pragatisheel bharat: avsar aur chunotiyan

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: New Delhi Delta book world 2022.Description: 241 pISBN:
  • 9788195551903
Subject(s): DDC classification:
  • H 305.42 MAH
Summary: यह पुस्तक एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का परिणाम है जिसमे महिलाओं पर आधारित प्रासंगिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए कई शोध-पत्रो को इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया है। इस संकलन में शिक्षा और रोजगार में महिलाओं की भागीदारी महिला अधिकारों को बढ़ावा देने में संस्थानों की भूमिका, न्याय की मांग, भारत में नारीवादी आंदोलन, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और मीडिया की भूमिका, सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों की मांग, पर्यावरण प्रबंधन में महिलाओं का योगदान, दक्षिणी देशों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी भारत में देवदासी व्यवस्था, भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली में महिलाओं संबंधी संस्थागत और कानूनी प्रावधान, संसद में राजनीतिक प्रतिनिधित्व, फिल्मों और सिनेमा में महिलाओं का प्रस्तुतीकरण - आदि जैसे ज्वलंत मुद्दे सम्मिलित किए गए। अतः यह पुस्तक प्रगतिशील भारत में महिलाओं के समावेशित विकास, उनकी सामाजिक-आर्थिक राजनीतिक समानता, उनकी गरिमा और अस्मिता को बनाए रखने के लिए एक सूक्ष्म प्रयास हैं जिसका उद्देश्य समाजीकरण की प्रक्रिया और उन सभी व्यवस्थाओं को ध्वस्त करना है जो पुरुष वर्चस्व और स्त्री अधीनता की परंपरा को बनाए रखे हुए है ताकि एक समतामूलक समाज का निर्माण हो।
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Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Gandhi Smriti Library H 305.42 MAH (Browse shelf(Opens below)) Checked out to Mahanadi Hostel OT Lounge (MAHANADI) 2023-09-29 168205
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यह पुस्तक एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का परिणाम है जिसमे महिलाओं पर आधारित प्रासंगिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए कई शोध-पत्रो को इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया है। इस संकलन में शिक्षा और रोजगार में महिलाओं की भागीदारी महिला अधिकारों को बढ़ावा देने में संस्थानों की भूमिका, न्याय की मांग, भारत में नारीवादी आंदोलन, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और मीडिया की भूमिका, सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों की मांग, पर्यावरण प्रबंधन में महिलाओं का योगदान, दक्षिणी देशों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी भारत में देवदासी व्यवस्था, भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली में महिलाओं संबंधी संस्थागत और कानूनी प्रावधान, संसद में राजनीतिक प्रतिनिधित्व, फिल्मों और सिनेमा में महिलाओं का प्रस्तुतीकरण - आदि जैसे ज्वलंत मुद्दे सम्मिलित किए गए।

अतः यह पुस्तक प्रगतिशील भारत में महिलाओं के समावेशित विकास, उनकी सामाजिक-आर्थिक राजनीतिक समानता, उनकी गरिमा और अस्मिता को बनाए रखने के लिए एक सूक्ष्म प्रयास हैं जिसका उद्देश्य समाजीकरण की प्रक्रिया और उन सभी व्यवस्थाओं को ध्वस्त करना है जो पुरुष वर्चस्व और स्त्री अधीनता की परंपरा को बनाए रखे हुए है ताकि एक समतामूलक समाज का निर्माण हो।

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