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Coolie lines

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Vani Prakashan 2019Description: 279ISBN:
  • 9789388684057
Subject(s): DDC classification:
  • H 306.363 JHA
Summary: हिन्द महासागर के रियूनियन द्वीप की ओर 1826 ई. में मज़दूरों से भरा जहाज़ बढ़ रहा था। यह शुरुआत थी भारत की। जड़ों से लाखों भारतीयों को अलग करने की। क्या एक विशाल साम्राज्य के लालच और हिन्दुस्तानी बिदेसियों के संघर्ष की यह गाथा भुला दी जायेगी? एक सामन्तवादी भारत से अनजान द्वीपों पर गये ये अँगूठा-छाप लोग आख़िर किस तरह जी पायेंगे? उनकी पीढ़ियों से। हिन्दुस्तानियत ख़त्म तो नहीं हो जायेगी? लेखक पुराने आर्काइवों, भिन्न भाषाओं में लिखे रिपोर्ताज़ों और गिरमिट वंशजों से यह तफ़्तीश करने निकलते हैं। उन्हें षड्यन्त्र और यातनाओं के मध्य खड़ा होता एक ऐसा भारत नज़र आने लगता है, जिसमें मुख्य भूमि की वर्तमान समस्याओं के कई सूत्र हैं। मॉरीशस से कनाडा तक की फ़ाइलों में ऐसे कई राज़ दबे हैं, जो ब्रिटिश सरकार पर ग़ैर-अदालती सवाल उठाते हैं। और इस ज़िम्मेदारी का अहसास भी कि दक्षिण अमरीका के एक गाँव में भी वही भोजन पकता है, जो बस्ती के एक गाँव में। ‘ग्रेट इंडियन डायस्पोरा' आख़िर एक परिवार है, यह स्मरण रहे। इस किताब की यही कोशिश है।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 306.363 JHA (Browse shelf(Opens below)) Available 167434
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हिन्द महासागर के रियूनियन द्वीप की ओर 1826 ई. में मज़दूरों से भरा जहाज़ बढ़ रहा था। यह शुरुआत थी भारत की। जड़ों से लाखों भारतीयों को अलग करने की। क्या एक विशाल साम्राज्य के लालच और हिन्दुस्तानी बिदेसियों के संघर्ष की यह गाथा भुला दी जायेगी? एक सामन्तवादी भारत से अनजान द्वीपों पर गये ये अँगूठा-छाप लोग आख़िर किस तरह जी पायेंगे? उनकी पीढ़ियों से। हिन्दुस्तानियत ख़त्म तो नहीं हो जायेगी?

लेखक पुराने आर्काइवों, भिन्न भाषाओं में लिखे रिपोर्ताज़ों और गिरमिट वंशजों से यह तफ़्तीश करने निकलते हैं। उन्हें षड्यन्त्र और यातनाओं के मध्य खड़ा होता एक ऐसा भारत नज़र आने लगता है, जिसमें मुख्य भूमि की वर्तमान समस्याओं के कई सूत्र हैं। मॉरीशस से कनाडा तक की फ़ाइलों में ऐसे कई राज़ दबे हैं, जो ब्रिटिश सरकार पर ग़ैर-अदालती सवाल उठाते हैं। और इस ज़िम्मेदारी का अहसास भी कि दक्षिण अमरीका के एक गाँव में भी वही भोजन पकता है, जो बस्ती के एक गाँव में। ‘ग्रेट इंडियन डायस्पोरा' आख़िर एक परिवार है, यह स्मरण रहे। इस किताब की यही कोशिश है।

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