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Vidhyasagar Nautiyal ki pratinidhi kahaniya

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Dehradun, Samya sakshay 2018.Edition: 2ndDescription: 180 pISBN:
  • 9789386452825
Subject(s): DDC classification:
  • UK VID
Summary: विद्यासागर नौटियाल पर्वतीय सरोकारों के सबसे बड़े साहित्यकार हैं। नौटियाल को टिहरी का स्पार्टकस भी कहा जाता है। केवल पर्वतीय जीवन की कहानियां रचकर विश्वविख्यात हो जाने वाले नौटियाल जनसरोकारों को रचने वाले विरले लेखकों में से एक हैं। इस संग्रह में विद्यासागर जी की कुल 17 कहानियां को स्थान दिया गया है। इस संग्रह की कहानियों का चयन व संपादन प्रसिद्ध स्त्री अधिकार कार्यकर्ता व साहित्यकार गीता गैरोला ने किया है। संग्रह में नौटियाल की परी देश की कहानियां, पीपल के पत्ते, घास, मछली जाल, भैंस का कट्या, सोना, खच्चर फगड़ू नहीं होते, फट जा पंचधार, सुच्ची डोर, कुवारीधार बोलेगी, एक बेनाम आदमी की कहानी, फुलियारी, उस चिड़िया के बोल, सन्निपात, आग की लपटें, दूध का स्वाद कथाओं को शामिल किया गया है।
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विद्यासागर नौटियाल पर्वतीय सरोकारों के सबसे बड़े साहित्यकार हैं। नौटियाल को टिहरी का स्पार्टकस भी कहा जाता है। केवल पर्वतीय जीवन की कहानियां रचकर विश्वविख्यात हो जाने वाले नौटियाल जनसरोकारों को रचने वाले विरले लेखकों में से एक हैं। इस संग्रह में विद्यासागर जी की कुल 17 कहानियां को स्थान दिया गया है। इस संग्रह की कहानियों का चयन व संपादन प्रसिद्ध स्त्री अधिकार कार्यकर्ता व साहित्यकार गीता गैरोला ने किया है। संग्रह में नौटियाल की परी देश की कहानियां, पीपल के पत्ते, घास, मछली जाल, भैंस का कट्या, सोना, खच्चर फगड़ू नहीं होते, फट जा पंचधार, सुच्ची डोर, कुवारीधार बोलेगी, एक बेनाम आदमी की कहानी, फुलियारी, उस चिड़िया के बोल, सन्निपात, आग की लपटें, दूध का स्वाद कथाओं को शामिल किया गया है।

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