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Bharatiya bhashaon mein Ram : sanskritik virasat

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: New Delhi Lekhshri Publication 2021Edition: 1st edDescription: 4V.(684p.; 684p.; 765p.; 591p.)ISBN:
  • 9788190538008
DDC classification:
  • H 294.5 MES
Summary: प्रत्येक युग में आदर्श शासन के मानक के रूप में रामराज्य को माना जाता रहा है। लोगों ने भारत देश की स्वतन्त्रता के साथ रामराज्य का स्वप्न भी देखा था। गोस्वामी तुलसीदास ने रामराज्य की चर्चा में लिखा है, सब नर करहिं परस्पर प्रीती, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती। लोकतन्त्र के मूल में भी यही भावना रही है। सामान्यतः लोकमान्य तिलक, महात्मा गाँधी, स्वामी दयानन्द सरस्वती, विनोबा भावे एवं डॉ. राममनोहर लोहिया आदि आधुनिक चिन्तक तथा मनीषी भारत के लोकतन्त्र को रामराज्य जैसा देखना चाहते थे क्योंकि देश के सम्पूर्ण राज्यों, भाषाओं, लोकचिन्तन सन्दर्भों एवं भारतीय मनीषियों के आचरणों में यह रामराज्य तन्त्र कब से वर्तमान एवं आचरणीय चला आ रहा है किन्तु उधर हमारा ध्यान नहीं गया। भारतीय संस्कृति की इसी गौरवमयी निष्ठा की ओर हम भारतीयों का ध्यान आकर्षित करना इस योजना का लक्ष्य है। भारतीय संस्कृति में शासन का यह गौरवपूर्ण आदर्श हम सबके संज्ञान में रहे, इस हेतु प्रदेश शासन का संस्कृति विभाग निरन्तर प्रयासरत है जिसके अन्तर्गत स्थापित अयोध्या शोध संस्थान ने रामकथा के मूल और प्रेरक तत्त्वों को रेखांकित करने और उसकी ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए 'भारतीय भाषाओं में रामकथा' की व्यापक योजना प्रारम्भ की। संस्थान के लिए यह हर्ष का विषय है कि 22 भारतीय भाषाओं के प्रसिद्ध विद्वानों और लेखकों ने अपनी विद्वत्ता और परिश्रम से इसमें जो योगदान किया है उसके निष्कर्ष में यह योजना श्रेष्ठता का निकष बन गयी है। सम्पूर्ण भारत में प्रचलित इस समय बाईस भाषाओं के मर्मज्ञ विद्वान एवं मनीषी इस दिशा में जिस निष्ठा के साथ प्रतिबद्ध भाव से इस कार्य के लिए तत्पर हुए हैं, उनका प्रतिफल सभी भाषाओं में रामकथा पर आधारित ये कृतियाँ हैं और इन पुस्तकों के विद्वान मनीषी लेखक अनन्त बधाई के पात्र हैं। आशा है, यह 'रामकथा कृति माला' भारतीय सांस्कृतिक अस्मिता को देश के नागरिकों को आत्मीय गौरव से निरन्तर अभिभूत करती रहेगी।
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Donated Books Donated Books Gandhi Smriti Library H 294.5 MES v.3 (Browse shelf(Opens below)) Available Asamia, Odia, evam bangla bhasha 172012
Donated Books Donated Books Gandhi Smriti Library H 294.5 MES v.4 (Browse shelf(Opens below)) Available Chattishgarh k lok jeevan me Ram, Marathi, Gujrati evam Rajsthani bhasha 172013
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Ayodhya sodh sansthan.

प्रत्येक युग में आदर्श शासन के मानक के रूप में रामराज्य को माना जाता रहा है। लोगों ने भारत देश की स्वतन्त्रता के साथ रामराज्य का स्वप्न भी देखा था। गोस्वामी तुलसीदास ने रामराज्य की चर्चा में लिखा है, सब नर करहिं परस्पर प्रीती, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती। लोकतन्त्र के मूल में भी यही भावना रही है।

सामान्यतः लोकमान्य तिलक, महात्मा गाँधी, स्वामी दयानन्द सरस्वती, विनोबा भावे एवं डॉ. राममनोहर लोहिया आदि आधुनिक चिन्तक तथा मनीषी भारत के लोकतन्त्र को रामराज्य जैसा देखना चाहते थे क्योंकि देश के सम्पूर्ण राज्यों, भाषाओं, लोकचिन्तन सन्दर्भों एवं भारतीय मनीषियों के आचरणों में यह रामराज्य तन्त्र कब से वर्तमान एवं आचरणीय चला आ रहा है किन्तु उधर हमारा ध्यान नहीं गया। भारतीय संस्कृति की इसी गौरवमयी निष्ठा की ओर हम भारतीयों का ध्यान आकर्षित करना इस योजना का लक्ष्य है।

भारतीय संस्कृति में शासन का यह गौरवपूर्ण आदर्श हम सबके संज्ञान में रहे, इस हेतु प्रदेश शासन का संस्कृति विभाग निरन्तर प्रयासरत है जिसके अन्तर्गत स्थापित अयोध्या शोध संस्थान ने रामकथा के मूल और प्रेरक तत्त्वों को रेखांकित करने और उसकी ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए 'भारतीय भाषाओं में रामकथा' की व्यापक योजना प्रारम्भ की। संस्थान के लिए यह हर्ष का विषय है कि 22 भारतीय भाषाओं के प्रसिद्ध विद्वानों और लेखकों ने अपनी विद्वत्ता और परिश्रम से इसमें जो योगदान किया है उसके निष्कर्ष में यह योजना श्रेष्ठता का निकष बन गयी है।

सम्पूर्ण भारत में प्रचलित इस समय बाईस भाषाओं के मर्मज्ञ विद्वान एवं मनीषी इस दिशा में जिस निष्ठा के साथ प्रतिबद्ध भाव से इस कार्य के लिए तत्पर हुए हैं, उनका प्रतिफल सभी भाषाओं में रामकथा पर आधारित ये कृतियाँ हैं और इन पुस्तकों के विद्वान मनीषी लेखक अनन्त बधाई के पात्र हैं।

आशा है, यह 'रामकथा कृति माला' भारतीय सांस्कृतिक अस्मिता को देश के नागरिकों को आत्मीय गौरव से निरन्तर अभिभूत करती रहेगी।

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