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Kala aur kalakaar

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Noida Setu Prakashan 2021Edition: 1st edDescription: 444 pISBN:
  • 9789391277079
Subject(s): DDC classification:
  • H 700.54 MEH
Summary: इस पुस्तक में शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य, ललित कला और रंगमंच के कुछ साधकों से गहराई से लिए गये साक्षात्कार शामिल हैं। आज के और भविष्य के कलाकारों और कलाप्रेमियों को ये साक्षात्कार मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। इस पुस्तक का अनुवाद और संपादन वर्षा दास ने गुजराती से हिन्दी में किया है। गुजराती साहित्य की सुप्रसिद्ध लेखिका लाभुबेन महेता की जन्मशताब्दी के अवसर पर 'कला और कलाकार' पुस्तक का यह सम्पादित संस्करण प्रकाशित किया गया था। लाभुबेन ने समग्र देश के विभिन्न कलाओं में निष्णात २८ महान् कलाकारों का साक्षात्कार किया था। इसका प्रारम्भ हुआ था जनवरी १९५० में उस्ताद बड़े गुलाम अली ख़ाँ के साक्षात्कार से। उन सभी की जीवन-यात्रा एवं कला - यात्रा का आज आर्काइवल मूल्य है। काकासाहेब कालेलकर के शब्दों में : “लाभुबेन ने कलाकारों से जो बातचीत की है उसमें उनकी अपनी कला भी प्रकट हुए बगैर नहीं रहती। उन व्यक्तियों के संकोच का कवच उतार कर अपने जीवन के बारे में बताना और उस संभाषण में से उनका जीवन - तत्त्वज्ञान एवं उनके जीवनानुभवों को उन्हीं के मुख से प्रकट करवाना यह कोई साधारण कला नहीं है । " आज के और भविष्य के कलाकारों एवं कलाप्रेमियों को ये साक्षात्कार प्रेरणा और मार्गदर्शन देते रहेंगे।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 700.54 MEH (Browse shelf(Opens below)) Available 168125
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इस पुस्तक में शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य, ललित कला और रंगमंच के कुछ साधकों से गहराई से लिए गये साक्षात्कार शामिल हैं। आज के और भविष्य के कलाकारों और कलाप्रेमियों को ये साक्षात्कार मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। इस पुस्तक का अनुवाद और संपादन वर्षा दास ने गुजराती से हिन्दी में किया है।

गुजराती साहित्य की सुप्रसिद्ध लेखिका लाभुबेन महेता की जन्मशताब्दी के अवसर पर 'कला और कलाकार' पुस्तक का यह सम्पादित संस्करण प्रकाशित किया गया था। लाभुबेन ने समग्र देश के विभिन्न कलाओं में निष्णात २८ महान् कलाकारों का साक्षात्कार किया था। इसका प्रारम्भ हुआ था जनवरी १९५० में उस्ताद बड़े गुलाम अली ख़ाँ के साक्षात्कार से। उन सभी की जीवन-यात्रा एवं कला - यात्रा का आज आर्काइवल मूल्य है। काकासाहेब कालेलकर के शब्दों में : “लाभुबेन ने कलाकारों से जो बातचीत की है उसमें उनकी अपनी कला भी प्रकट हुए बगैर नहीं रहती। उन व्यक्तियों के संकोच का कवच उतार कर अपने जीवन के बारे में बताना और उस संभाषण में से उनका जीवन - तत्त्वज्ञान एवं उनके जीवनानुभवों को उन्हीं के मुख से प्रकट करवाना यह कोई साधारण कला नहीं है । "

आज के और भविष्य के कलाकारों एवं कलाप्रेमियों को ये साक्षात्कार प्रेरणा और मार्गदर्शन देते रहेंगे।

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