Bharatvarsh ke 32 tirath sthal
Material type:
- 9789391242671
- H 294.5350954 PAT
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 294.5350954 PAT (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168223 |
राष्ट्रवादियों तथा देशभक्तों से पूर्व, उपनिवेशवादियों और आक्रमणकारियों से पूर्व, और सम्राटों व राजाओं से पूर्व, भारत तीर्थ मार्गों से आपस में जुड़ा था। जिज्ञासु और ॠषि-मुनि अप्राकृतिक सीमाओं की उपेक्षा करते हुए, ईश्वर की चाह और खोज में उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम, पर्वतों से परे, नदियों के साथ-साथ यात्राएँ किया करते थे। विख्यात पौराणिक कथा विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनायक हमें 32 पवित्र स्थलों की अंतर्द़ृष्टि से भरपूर यात्रा पर ले जाते हैं, जहाँ प्राचीन और आधुनिक इष्ट उस भूमि के जटिल और परतदार इतिहास, भूगोल और कल्पना को प्रकट करते हैं, जिसे कभी ‘भारतीय फल काली अंची के द्वीप’ (जंबूद्वीप), ‘नदियों की भूमि’ (संस्कृत में सिंधुस्थल अथवा फ़ारसी में हिंदुस्तान), ‘राजा भरत का विस्तार’ (भारतवर्ष अथवा भारतखंड) और यहाँ तक कि ‘सुख के धाम’ (चीनियों के लिए सुखावती) के नाम से जाना जाता था।
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