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Assam k bhakat kavi Shankerdev evam Surdas ke kavya ka tulnatmaka adhyana

By: Material type: TextTextPublication details: Meerut, Shalabh book house 1985.Edition: 1st edDescription: 311 pSubject(s): DDC classification:
  • AS 891.43109 BAN
Summary: शंकरदेव का नाम मैंने सर्वप्रथम आसाम में अपने अध्ययन काल में सुना था । सभी उनके काव्य का अनुशीलन करने की जिज्ञासापूर्व मेरे मन में उत्पन्न हुई। वस्तुतः शंकरदेव के भक्तिपूर्ण गीतों को सुनकर मुझे कृष्ण भक्त सूरदास के काव्य की रसानुभूति हुई। दोनों कवियों में विषय भाव, कल्पना एवं अनुभूति की इतनी समानता ने मुझे इस अध्ययन के लिए प्रेरित किया । वस्तुतः शंकरदेव और सूर के काव्य का तुलनात्मक अध्ययन केवल हिन्दी जगत के लिए मौलिक शोध कार्य होगा। अपितु यह दो प्रान्तों के साहित्यिक घरान पर सामंजस्य स्थापित करने का आधार भी बन सकेगा ।
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शंकरदेव का नाम मैंने सर्वप्रथम आसाम में अपने अध्ययन काल में सुना था । सभी उनके काव्य का अनुशीलन करने की जिज्ञासापूर्व मेरे मन में उत्पन्न हुई। वस्तुतः शंकरदेव के भक्तिपूर्ण गीतों को सुनकर मुझे कृष्ण भक्त सूरदास के काव्य की रसानुभूति हुई। दोनों कवियों में विषय भाव, कल्पना एवं अनुभूति की इतनी समानता ने मुझे इस अध्ययन के लिए प्रेरित किया । वस्तुतः शंकरदेव और सूर के काव्य का तुलनात्मक अध्ययन केवल हिन्दी जगत के लिए मौलिक शोध कार्य होगा। अपितु यह दो प्रान्तों के साहित्यिक घरान पर सामंजस्य स्थापित करने का आधार भी बन सकेगा ।

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