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Kahi kuch kam hai

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Vani 2006Description: 130pSubject(s): DDC classification:
  • H 891.431 SHA
Summary: शहरयार की कविताओं में जीवन की अंत:लय मौजूद है। अभिव्यक्ति के सधे हुए शिल्‍प में कहीं कुछ कम है की कविताएं कवि के संयमित विवेक और शिल्‍प-सजगता का परिचायक हैं। इन कविताओं में भावों का भरापूरा संसार है तथा संवेदना की नमी से भीगी पंक्तियां। कवि के हृदय कोष में प्रेम, करुणा, सदाशयता और आत्‍मीयता का समृद्ध संसार है। उसका आत्‍मघर हमदर्दी और पंचतत्‍वों के सहमेल का आख्‍यान है
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शहरयार की कविताओं में जीवन की अंत:लय मौजूद है। अभिव्यक्ति के सधे हुए शिल्‍प में कहीं कुछ कम है की कविताएं कवि के संयमित विवेक और शिल्‍प-सजगता का परिचायक हैं। इन कविताओं में भावों का भरापूरा संसार है तथा संवेदना की नमी से भीगी पंक्तियां। कवि के हृदय कोष में प्रेम, करुणा, सदाशयता और आत्‍मीयता का समृद्ध संसार है। उसका आत्‍मघर हमदर्दी और पंचतत्‍वों के सहमेल का आख्‍यान है

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