Sampurna Kahaniyan
Material type:
- 9789392757990
- H 891.4308 GAR
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 891.4308 GAR (Browse shelf(Opens below)) | Available | 169263 |
मृदुला गर्ग ने लगभग आधी सदी से अपनी निरंतर ऊर्जस्वित रचनात्मकता के कारण, हिन्दी कथा-साहित्य में अनोखा मुक़ाम हासिल किया है। जीवन के किसी एक पहलू तक ही सीमित रहने के बजाय उन्होंने कथ्य और शिल्प दोनों में लगातार नवोन्मेष किए हैं। ये नवोन्मेष सायास साधी गई और प्रदर्शनप्रिय चमत्कारिकता के रूप में नहीं हैं। ये तो सहज विकास के तौर उनके विषयों के चुनाव और निर्वाह में रच-बस गए हैं। आरंभिक दौर में लिखी गई कितनी क़ैदें और 2014 में लिखी गई सितम के फ़नकार को साथ-साथ पढ़ने से यह बात स्पष्ट हो जाती है। स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर केन्द्रित कहानियाँ हों या अन्य सम्बन्धों और सरोकारों पर केन्द्रित; मृदुला गर्ग की कहानियों में मन के भीतर और बाहर का संवाद निरंतर लक्ष्य किया जा सकता है। उनकी बहुचर्चित बोल्डनेस केवल स्त्री-पुरुष सम्बन्ध की जटिलता के अनुसंधान तक सीमित नहीं, बल्कि “अपनी मौत के लिए वक़्त और जगह ख़ुद चुनने” तक व्याप्त है। उनकी कहानियों में जीवन का उत्सव है तो इसकी अनिवार्य परिणति का सहज स्वीकार भी। किसी एक पल में किए गए छोटे से काम के अप्रत्याशित रूप से विडंबनापूर्ण परिणामों की पुनर्रचना है तो बदलते सामाजिक पर्यावरण की परिणतियों का अनुसंधान भी। मृदुला गर्ग की कहानियों में भौगोलिक विस्तार, वर्गीय विविधता और तरह-तरह के पात्रों से मुखामुखम तो है ही कहानी के लिए चुने गए विषयों, पात्रों और स्थितियों और उन्हें कहने के ढंग में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नवोन्मेष भी हैं। ऐसे नवोन्मेष सघन संवेदना, सूक्ष्म विडम्बना बोध और प्रखर विचारशीलता के ही कारण सम्भव हो पाते हैं। अनोखी बात यह कि इन विशेषताओं का अहसास पाठक के मन में लगभग नामालूम सहजता के साथ उतरता चला जाता है। हिन्दी कथा-संसार को समृद्ध करने वाला यह अनोखापन ही मृदुला गर्ग के लेखन की विशिष्ट पहचान है।
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