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Panno se utarti chandni : पन्नो से उतरती चाँदनी

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Little Bird 2024Description: 126pISBN:
  • 9789363069770
Subject(s): DDC classification:
  • H 891.4303 PAN
Summary: ऐसे समय में नीरजा पाण्डेय का यह उपन्यास आया है जब नारी उत्पीड़न की न जाने कितनी घटनायें हम सभी प्रतिदिन अखबार में पढ़ते हैं, जो हमको अधिक सोचने के लिए विवश करती हैं और फिर हम उन्हें भुलाकर अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। दिन-पर-दिन वर्ष-पर-वर्ष बीतते जाते हैं, न हमारी सोच बदलती है न समाज का ढंग बदलता है। क्या हमने कभी सोचा है कि ये घटनायें जिसके ऊपर गुजरती हैं उसका जीवन कितना अभिशप्त हो जाता है? क्या गुनाह होता है उसका जिसके लिए उसे पूरा जीवन न्योछावर करना पड़ता है? उस बेटी को भी तो कभी माँ ने नौ महीने अपनी कोख में रखा था। उसकी हर किलकारी पर सभी न्योछावर हुए थे। जब पहली बार घर में उसने डगमगाते कदम रखे थे तो माता-पिता का हृदय खुशी से फूला नहीं समाया था। कभी भी किसी को यह आभास नहीं हुआ कि बेटे की हँसी मन को ज्यादा खुश करती है और लड़की की किलकारी कम।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 891.4303 PAN (Browse shelf(Opens below)) Available 180470
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ऐसे समय में नीरजा पाण्डेय का यह उपन्यास आया है जब नारी उत्पीड़न की न जाने कितनी घटनायें हम सभी प्रतिदिन अखबार में पढ़ते हैं, जो हमको अधिक सोचने के लिए विवश करती हैं और फिर हम उन्हें भुलाकर अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। दिन-पर-दिन वर्ष-पर-वर्ष बीतते जाते हैं, न हमारी सोच बदलती है न समाज का ढंग बदलता है। क्या हमने कभी सोचा है कि ये घटनायें जिसके ऊपर गुजरती हैं उसका जीवन कितना अभिशप्त हो जाता है? क्या गुनाह होता है उसका जिसके लिए उसे पूरा जीवन न्योछावर करना पड़ता है? उस बेटी को भी तो कभी माँ ने नौ महीने अपनी कोख में रखा था। उसकी हर किलकारी पर सभी न्योछावर हुए थे। जब पहली बार घर में उसने डगमगाते कदम रखे थे तो माता-पिता का हृदय खुशी से फूला नहीं समाया था। कभी भी किसी को यह आभास नहीं हुआ कि बेटे की हँसी मन को ज्यादा खुश करती है और लड़की की किलकारी कम।

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