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Vichar Ka Aina kala sahitya sanskriti : Ravindra Nath Tagore

By: Material type: TextTextPublication details: Prayagraj Lokbharti 2023Description: 237pISBN:
  • 9788195965649
Subject(s): DDC classification:
  • RT 891.4304 TAG
Summary: विचार का आईना शृंखला के अन्तर्गत ऐसे साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं के ‘कला साहित्य संस्कृति’ केन्द्रित चिन्तन को प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने भारतीय जनमानस को गहराई से प्रभावित किया। इसके पहले चरण में हम मोहनदास करमचन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, राममनोहर लोहिया, रामचन्द्र शुक्ल, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ और गजानन माधव मुक्तिबोध के विचारपरक लेखन से एक ऐसा मुकम्मल संचयन प्रस्तुत कर रहे हैं जो हर लिहाज से संग्रहणीय है। आधुनिक भारतीय मनीषा जिन व्यक्तित्त्वों में सर्वाधिक प्रखर रूप में प्रकट हुई उनमें रवीन्द्रनाथ ठाकुर अग्रणी हैं। साहित्य, संगीत, कला, शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनका अप्रतिम योगदान है। परम्परा से लगातार बहस और संवाद करते हुए वे ऐसे चिन्तक के रूप में सामने आते हैं जिनका लक्ष्य सम्पूर्ण मानवता है। वे पश्चिम और पूरब के बीच एक मनोहारी पुल की तरह रहे। गांधी समेत अपने समय की सभी बड़ी राजनैतिक और सांस्कृतिक हस्तियों से उनका सघन संवाद रहा। हमें उम्मीद है कि राष्ट्रवाद के आलोचक और सम्पूर्ण मानवता के उल्लास और विकास के हामी टैगोर के कला, साहित्य और संस्कृति सम्बन्धी प्रतिनिधि निबन्धों की यह किताब सभी पाठकों के लिए एक सुन्दर, समृद्ध और न भूलनेवाला अनुभव साबित होगी।
List(s) this item appears in: Rabindranath Tagore's Collection | Kindle Collection 2024
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विचार का आईना शृंखला के अन्तर्गत ऐसे साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं के ‘कला साहित्य संस्कृति’ केन्द्रित चिन्तन को प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने भारतीय जनमानस को गहराई से प्रभावित किया। इसके पहले चरण में हम मोहनदास करमचन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, राममनोहर लोहिया, रामचन्द्र शुक्ल, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ और गजानन माधव मुक्तिबोध के विचारपरक लेखन से एक ऐसा मुकम्मल संचयन प्रस्तुत कर रहे हैं जो हर लिहाज से संग्रहणीय है। आधुनिक भारतीय मनीषा जिन व्यक्तित्त्वों में सर्वाधिक प्रखर रूप में प्रकट हुई उनमें रवीन्द्रनाथ ठाकुर अग्रणी हैं। साहित्य, संगीत, कला, शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनका अप्रतिम योगदान है। परम्परा से लगातार बहस और संवाद करते हुए वे ऐसे चिन्तक के रूप में सामने आते हैं जिनका लक्ष्य सम्पूर्ण मानवता है। वे पश्चिम और पूरब के बीच एक मनोहारी पुल की तरह रहे। गांधी समेत अपने समय की सभी बड़ी राजनैतिक और सांस्कृतिक हस्तियों से उनका सघन संवाद रहा। हमें उम्मीद है कि राष्ट्रवाद के आलोचक और सम्पूर्ण मानवता के उल्लास और विकास के हामी टैगोर के कला, साहित्य और संस्कृति सम्बन्धी प्रतिनिधि निबन्धों की यह किताब सभी पाठकों के लिए एक सुन्दर, समृद्ध और न भूलनेवाला अनुभव साबित होगी।

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