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Bharat mein Samaj karya ka chetra

By: Material type: TextTextPublication details: Lucknow New Royal book company 2001.Description: 437 pDDC classification:
  • H 361.3 SUR
Summary: प्रस्तुत पुस्तक भारतवर्ष में समाज कार्य अभ्यास के विभिन्न संभावित क्षेत्रों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। इसके अन्तर्गत कल्याणकारी राज्य के सन्दर्भ में समाज कल्याण की व्याख्या करते हुए समाज के निर्बल वर्गों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिपादित की गई नीतियों एवं चलाए गए कार्यक्रमों का उल्लेख किया गया है। इससे समाज कार्यकर्ताओं को एक अन्तर्दृष्टि एवं दिशा निर्देश प्राप्त होता है कि वे वर्तमान भारतीय समाज के परिपेक्ष्य में अपनी सेवाओं को अधिक से अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से किस प्रकार प्रदान करें। विशिष्ट रूप से, पंचवर्षीय योजनाओं में प्रतिपादित नीतियों और प्रावधानित कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सरकारी तंत्र एवं केन्द्रीय समाज कल्याण परिषद् द्वारा अनुदानित गैर सरकारी संगठनों में पारस्परिक रूप से अनुपूरक भूमिकाओं को अधिकाधिक प्रभावी बनाने की दृष्टि से व्यावसायिक समाज कार्य के संभावित हस्तक्षेप के विषय में भी पर्याप्त मार्गदर्शन प्राप्त होता है। प्रस्तुत पुस्तक शक्तीकरण, विकास एवं कल्याण में अभिरुचि रखने वाले सभी वर्गों चाहे वे नीति निर्धारण से सम्बन्धित हों अथवा कार्यक्रम कार्यान्वयन से, और चाहे वे व्यावसायिक समाज कार्य के अध्ययन में रत हों अथवा अध्यापन में, सभी के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
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प्रस्तुत पुस्तक भारतवर्ष में समाज कार्य अभ्यास के विभिन्न संभावित क्षेत्रों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। इसके अन्तर्गत कल्याणकारी राज्य के सन्दर्भ में समाज कल्याण की व्याख्या करते हुए समाज के निर्बल वर्गों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिपादित की गई नीतियों एवं चलाए गए कार्यक्रमों का उल्लेख किया गया है। इससे समाज कार्यकर्ताओं को एक अन्तर्दृष्टि एवं दिशा निर्देश प्राप्त होता है कि वे वर्तमान भारतीय समाज के परिपेक्ष्य में अपनी सेवाओं को अधिक से अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से किस प्रकार प्रदान करें। विशिष्ट रूप से, पंचवर्षीय योजनाओं में प्रतिपादित नीतियों और प्रावधानित कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सरकारी तंत्र एवं केन्द्रीय समाज कल्याण परिषद् द्वारा अनुदानित गैर सरकारी संगठनों में पारस्परिक रूप से अनुपूरक भूमिकाओं को अधिकाधिक प्रभावी बनाने की दृष्टि से व्यावसायिक समाज कार्य के संभावित हस्तक्षेप के विषय में भी पर्याप्त मार्गदर्शन प्राप्त होता है। प्रस्तुत पुस्तक शक्तीकरण, विकास एवं कल्याण में अभिरुचि रखने वाले सभी वर्गों चाहे वे नीति निर्धारण से सम्बन्धित हों अथवा कार्यक्रम कार्यान्वयन से, और चाहे वे व्यावसायिक समाज कार्य के अध्ययन में रत हों अथवा अध्यापन में, सभी के लिए अत्यधिक उपयोगी है।

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