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Anuvad vigyan

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi; Prakashan Sanstha; 1997Description: 143 pISBN:
  • 8186331136X
DDC classification:
  • H 418.02 ANU
Summary: किसी भाषा के साहित्य में और ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में जितना महत्व मूल लेखन का है, उससे कम महत्व अनुवाद का नहीं है। लेकिन सहज और संप्रेषणीय अनुवाद मूल लेखन से भी कठिन काम है। भारत जैसे बहुभाषी देश के लिए अनुवाद की समस्या और भी महत्वपूर्ण है। इसकी जटिलता को समझना अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है। इधर इस समस्या पर लेखकों तथा अनुवादकों ने विशेष ध्यान देना शुरू किया है तथा अनुवाद विज्ञान और अनुवाद कला पर साहित्य यत्रतत्र दिखाई देने लगा है। प्रस्तुत पुस्तक इस दिशा में गंभीर प्रयास है। इस पुस्तक में जिन लेखों का संकलन किया गया है, उनमें हिंदी अनुवाद को सिद्धांत और व्यवहार के व्यापक आधार फलक पर नापने जोखने की कोशिश साफ नज़र आती है। अनुवाद कार्य को अनेक कोणों से समझने में यह पुस्तक सहायक बनेगी, इसमें कोई संदेह नहीं है।
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किसी भाषा के साहित्य में और ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में जितना महत्व मूल लेखन का है, उससे कम महत्व अनुवाद का नहीं है। लेकिन सहज और संप्रेषणीय अनुवाद मूल लेखन से भी कठिन काम है। भारत जैसे बहुभाषी देश के लिए अनुवाद की समस्या और भी महत्वपूर्ण है। इसकी जटिलता को समझना अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है।

इधर इस समस्या पर लेखकों तथा अनुवादकों ने विशेष ध्यान देना शुरू किया है तथा अनुवाद विज्ञान और अनुवाद कला पर साहित्य यत्रतत्र दिखाई देने लगा है। प्रस्तुत पुस्तक इस दिशा में गंभीर प्रयास है। इस पुस्तक में जिन लेखों का संकलन किया गया है, उनमें हिंदी अनुवाद को सिद्धांत और व्यवहार के व्यापक आधार फलक पर नापने जोखने की कोशिश साफ नज़र आती है। अनुवाद कार्य को अनेक कोणों से समझने में यह पुस्तक सहायक बनेगी, इसमें कोई संदेह नहीं है।

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