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Yeh Sambhav Hai / tr. aur edited by Rama Sankar Singh

By: Material type: TextTextPublication details: New delhi; Sterling; 1998Description: 400 p.( Rs 450)ISBN:
  • 8170556597
Subject(s): DDC classification:
  • CS H 363.2 BED
Summary: तिहाड़ जेल के अंदर मेने जो कुछ भी देखा उसे मैने उस मानवीय संवेदना से बाँध लिया जो मेरे फर्ज के लिए जरूरी थी। में वहाँ सुधार लाने गई थी न की इल्जाम लगाने समस्या गंभीर थी। समझने में सुधार में मुझे कुछ महीने लगे। चाहे किसी को कितनी भी जल्दी क्यों न हो ऐसे संस्थानों की परत उघाड़ने में वक्त लगता है। तिहाड़ जेल ने मेरे धैर्य की बेतहा परीक्षा ली पर आखिर में उसके निवासियों के मन में जगह बनाने में कामयाब हो गई। अब वही इमारत तिहाई आश्रम कहलाती है।
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तिहाड़ जेल के अंदर मेने जो कुछ भी देखा उसे मैने उस मानवीय संवेदना से बाँध लिया जो मेरे फर्ज के लिए जरूरी थी। में वहाँ सुधार लाने गई थी न की इल्जाम लगाने समस्या गंभीर थी। समझने में सुधार में मुझे कुछ महीने लगे। चाहे किसी को कितनी भी जल्दी क्यों न हो ऐसे संस्थानों की परत उघाड़ने में वक्त लगता है। तिहाड़ जेल ने मेरे धैर्य की बेतहा परीक्षा ली पर आखिर में उसके निवासियों के मन में जगह बनाने में कामयाब हो गई। अब वही इमारत तिहाई आश्रम कहलाती है।

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