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Shikshan kala v.1998

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi; Radha Publication; 1998Description: 424pDDC classification:
  • H 370.7 TRI
Summary: प्रस्तुत ग्रन्थ शिक्षण कला को शिक्षण की उपयोगिता के सन्दर्भ में पाठकों के समक्ष उपस्थित किया जा रहा है। इस ग्रन्थ में शिक्षण के स्वरूप, सिद्धान्त, विधियाँ, पाठ-योजना, विविध प्रकार के पाठों, शिक्षण प्रतिमान, शिक्षण प्रविधियों एवं युक्तियों, शिक्षण के उपकरण, उपकरणों की उपयोगिता आवश्यकता, उपकरण का शिक्षण प्रक्रिया में प्रयोग इत्यादि के वर्णन के साथ ही शिक्षण में किये जाने वाले महत्वपूर्ण प्रयोगों, नवीन योजनाओं के साथ शिक्षण के मूल्यांकन एवं शिक्षण बिन्दुओं को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। परीक्षण की अनेक विधियों को भी यथा साध्य प्रस्तुत करके परीक्षा प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। ग्रन्थ विशालकाय न हो, इसलिए कुछ प्रसंगों का संक्षिप्त रूप दिया गया है। इस ग्रन्थ में इकाई योजना के साथ ही अभिक्रमित अधिगम सूक्ष्मशिक्षण एवं दूरस्थ शिक्षा को भी प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रन्थ छात्रों, अध्यापकों एवं पुस्तकालयों के लिए किस प्रकार उपयोगी होगा इस ओर विचार किया गया है।
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प्रस्तुत ग्रन्थ शिक्षण कला को शिक्षण की उपयोगिता के सन्दर्भ में पाठकों के समक्ष उपस्थित किया जा रहा है। इस ग्रन्थ में शिक्षण के स्वरूप, सिद्धान्त, विधियाँ, पाठ-योजना, विविध प्रकार के पाठों, शिक्षण प्रतिमान, शिक्षण प्रविधियों एवं युक्तियों, शिक्षण के उपकरण, उपकरणों की उपयोगिता आवश्यकता, उपकरण का शिक्षण प्रक्रिया में प्रयोग इत्यादि के वर्णन के साथ ही शिक्षण में किये जाने वाले महत्वपूर्ण प्रयोगों, नवीन योजनाओं के साथ शिक्षण के मूल्यांकन एवं शिक्षण बिन्दुओं को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। परीक्षण की अनेक विधियों को भी यथा साध्य प्रस्तुत करके परीक्षा प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। ग्रन्थ विशालकाय न हो, इसलिए कुछ प्रसंगों का संक्षिप्त रूप दिया गया है।

इस ग्रन्थ में इकाई योजना के साथ ही अभिक्रमित अधिगम सूक्ष्मशिक्षण एवं दूरस्थ शिक्षा को भी प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रन्थ छात्रों, अध्यापकों एवं पुस्तकालयों के लिए किस प्रकार उपयोगी होगा इस ओर विचार किया गया है।

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