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Ek pustak mata-pita ke liye v.1998

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi; Janvani Prakashan; 1998Description: 288pISBN:
  • 8186409947
DDC classification:
  • H 370.1 MAK
Summary: एक पुस्तक माता-पिता के लिए विश्वप्रसिद्ध रूसी शिक्षा-वैज्ञानिक अन्तोन माकारेंको की एक अत्यंत महत्वपूर्ण कृति है। परिवार में बच्चों के लालन-पालन जैसे नाजुक और पेचीदा विषय पर अपने विचार प्रकट करने के लिए माकारेंको ने अपनी इस पुस्तक में जिस विधि का उपयोग किया है वह बहुत आधुनिक है। यह पुस्तक शिक्षा संबंधी नुस्खों और सलाहों का, चाहे वे ठीक ही क्यों न हों, महज एक संग्रह नहीं है, यह लेखक और पाठक के बीच एक जीवंत और गोपनीय वार्तालाप हैं। लेखक ने इस पुस्तक में किसी भी तरह की उपेदशात्मक और पंडिताऊ चीज को इस वार्तालाप में कहीं से भी प्रविष्ट नहीं होने दिया है। परिवार में बच्चों के लालन-पालन के मुख्य सिद्धांतों का काफी हद तक पर्याप्त वर्ण होने की वजह से इस पुस्तक का महत्व बढ़ जाता है। इन सिद्धांतों में बच्चे के व्यक्तित्व के प्रति सम्मान, बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल, उनके सामंजस्यपूर्ण शारीरिक विकास, खेल, श्रम, भौतिक और आध्यापिक आवश्यकताओं का संगत मेल, वयस्कों के वास्तविक सम्मान से बल प्राप्त करने के प्रवृत्ति और परिवार में भावनात्मक सुख के वातावरण की रचना करना शामिल है। चूंकि ये सिद्धांत शायद ही कभी पुराने पड़ेंगे, इसलिए माकारेंको की इस पुस्तक का महत्व हमेशा बना रहेगा।
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एक पुस्तक माता-पिता के लिए विश्वप्रसिद्ध रूसी शिक्षा-वैज्ञानिक अन्तोन माकारेंको की एक अत्यंत महत्वपूर्ण कृति है। परिवार में बच्चों के लालन-पालन जैसे नाजुक और पेचीदा विषय पर अपने विचार प्रकट करने के लिए माकारेंको ने अपनी इस पुस्तक में जिस विधि का उपयोग किया है वह बहुत आधुनिक है। यह पुस्तक शिक्षा संबंधी नुस्खों और सलाहों का, चाहे वे ठीक ही क्यों न हों, महज एक संग्रह नहीं है, यह लेखक और पाठक के बीच एक जीवंत और गोपनीय वार्तालाप हैं। लेखक ने इस पुस्तक में किसी भी तरह की उपेदशात्मक और पंडिताऊ चीज को इस वार्तालाप में कहीं से भी प्रविष्ट नहीं होने दिया है।

परिवार में बच्चों के लालन-पालन के मुख्य सिद्धांतों का काफी हद तक पर्याप्त वर्ण होने की वजह से इस पुस्तक का महत्व बढ़ जाता है। इन सिद्धांतों में बच्चे के व्यक्तित्व के प्रति सम्मान, बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल, उनके सामंजस्यपूर्ण शारीरिक विकास, खेल, श्रम, भौतिक और आध्यापिक आवश्यकताओं का संगत मेल, वयस्कों के वास्तविक सम्मान से बल प्राप्त करने के प्रवृत्ति और परिवार में भावनात्मक सुख के वातावरण की रचना करना शामिल है। चूंकि ये सिद्धांत शायद ही कभी पुराने पड़ेंगे, इसलिए माकारेंको की इस पुस्तक का महत्व हमेशा बना रहेगा।

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