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Vivechanatamak apradhshastra / by Ram Ahuja ,Mukesh Ahuja c.1

By: Material type: TextTextPublication details: Jaipur; Rawat Publication; 1998Description: 439pISBN:
  • 817033452X
DDC classification:
  • H 364 AHU
Summary: भारत में अपराधशास्त्र पर बहुत कम पुस्तकें लिखी गई हैं । प्रस्तुत पुस्तक, जो लेखक के इस विषय में विशेष रुचि एवं गहन अध्ययन का परिणाम है, इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में स्वदेशी साहित्य की एक कड़ी के रुप में है। यह पुस्तक न केवल भारतीय विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर अपराधशास्त्र में निर्धारित पाठयक्रम को अपनी परिधि में लेती है बल्कि उन विषयों का भी विश्लेषण करती है जिनको सम्भावित रुप से स्नातकोत्तर स्तर पर प्रारम्भ किया जा सकता है। इनमें से कुछ विषय महिलाओं के विरुद्ध अपराध, राजनैतिक अपराध, तथा युवा और अपराध आदि हैं। अधिकतर विषयों का आलोचनात्मक विश्लेषण समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण की ओर उन्मुख है और समष्टिवादी परिप्रेक्ष्य पर आधारित है । जहां कहीं आवश्यक समझा गया वहां सैद्धान्तिक व्याख्या भी दी गई है। इस प्रकार यह पुस्तक इस क्षेत्र में उपयुक्त पाठ्यपुस्तक के रुप में लम्बे समय से अनुभव की जाने वाली कमी की पूर्ति करती है। इसके साथ ही यह निश्चय ही विस्तृत विषय पढ़ने वालों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी क्योंकि यह सरल शैली एवं अधिकारिक शब्दावली में अपराधशास्त्र के महत्त्वपूर्ण विषयों की सुबुद्ध समीक्षा प्रस्तुत करती है।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 364 AHU (Browse shelf(Opens below)) Available 66626
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भारत में अपराधशास्त्र पर बहुत कम पुस्तकें लिखी गई हैं । प्रस्तुत पुस्तक, जो लेखक के इस विषय में विशेष रुचि एवं गहन अध्ययन का परिणाम है, इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में स्वदेशी साहित्य की एक कड़ी के रुप में है। यह पुस्तक न केवल भारतीय विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर अपराधशास्त्र में निर्धारित पाठयक्रम को अपनी परिधि में लेती है बल्कि उन विषयों का भी विश्लेषण करती है जिनको सम्भावित रुप से स्नातकोत्तर स्तर पर प्रारम्भ किया जा सकता है। इनमें से कुछ विषय महिलाओं के विरुद्ध अपराध, राजनैतिक अपराध, तथा युवा और अपराध आदि हैं। अधिकतर विषयों का आलोचनात्मक विश्लेषण समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण की ओर उन्मुख है और समष्टिवादी परिप्रेक्ष्य पर आधारित है । जहां कहीं आवश्यक समझा गया वहां सैद्धान्तिक व्याख्या भी दी गई है। इस प्रकार यह पुस्तक इस क्षेत्र में उपयुक्त पाठ्यपुस्तक के रुप में लम्बे समय से अनुभव की जाने वाली कमी की पूर्ति करती है। इसके साथ ही यह निश्चय ही विस्तृत विषय पढ़ने वालों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी क्योंकि यह सरल शैली एवं अधिकारिक शब्दावली में अपराधशास्त्र के महत्त्वपूर्ण विषयों की सुबुद्ध समीक्षा प्रस्तुत करती है।

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