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Danik jeevan mein ayurveda v.1997

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; Kitabghar; 1997.Description: 376pSubject(s): DDC classification:
  • H 615.53 VER
Summary: पुस्तक के प्रथम खण्ड में मैंने आयुर्वेद का शास्त्रीय ज्ञान सामान्य ढंग से समझाने का प्रयत्न किया है, और उसका हमारे दैनिक जीवन में उपयोग बताया है। इस खण्ड में विषय का आरम्भिक ज्ञान है, जो हमारे जीवन का एक अटूट अंग रहा है। द्वितीय खण्ड में दैनिक जीवन के तीन महत्त्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें आहार, काम तथा आत्मशक्ति का वर्णन है। दूसरे खण्ड के तीसरे भाग में आत्मशक्ति द्वारा रोग मुक्ति के प्रयासों का वर्णन है। इस पर विचार करते समय हम प्रकृति की सबसे सुन्दर संरचना मानव शरीर पर ध्यान केन्द्रित करते हैंI
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पुस्तक के प्रथम खण्ड में मैंने आयुर्वेद का शास्त्रीय ज्ञान सामान्य ढंग से समझाने का प्रयत्न किया है, और उसका हमारे दैनिक जीवन में उपयोग बताया है। इस खण्ड में विषय का आरम्भिक ज्ञान है, जो हमारे जीवन का एक अटूट अंग रहा है।
द्वितीय खण्ड में दैनिक जीवन के तीन महत्त्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें आहार, काम तथा आत्मशक्ति का वर्णन है।
दूसरे खण्ड के तीसरे भाग में आत्मशक्ति द्वारा रोग मुक्ति के प्रयासों का वर्णन है। इस पर विचार करते समय हम प्रकृति की सबसे सुन्दर संरचना मानव शरीर पर ध्यान केन्द्रित करते हैंI

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