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Sikshak aur samaj v.1998

By: Material type: TextTextPublication details: Pauri Garhwal; Winsor Publishing; 1998Description: 151pDDC classification:
  • H 370.7 ANJ
Summary: समय एवं परिस्थितियों के अनुसार सदैव परिवर्तन भारतीय शिक्षा व्यवस्था से इसके कर्णधार अर्थात शिक्षक भी सदैव प्रभावित होते रहे हैं। इन प्रभावों की परिणति शिक्षक की स्थिति, प्रभावों एवं समाज में उनकी छवि के रूप में प्रकटित होती है। भारत जैसे प्रगतिशील समाज में शिक्षक की भूमिका और भी अधिक प्रभावित बनती जा रही है। प्रस्तुत अध्ययन समाजिक परिवर्तन की दृष्टि से साप्रंत भारत के शिक्षक की भूमिका को उजागर करता है। अध्ययन में शिक्षक के व्यक्तित्व, उसके विचारों, प्रत्याशाओं एवं मूल्यों तथा सामाजिक परिवर्तन के अभिकर्त्ता के रूप में उसका प्रकर्यात्मक मूल्याँकन करने का प्रयास किया गया है। प्रस्तुत ग्रन्थ शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्माताओं, प्रशासकों, समाज सुधारकों, राजनीतिवेताओं, समाजशास्त्रियों तथा शिक्षा में रुचि रखने वाले समस्त लोगों के लिए उपयोगी एवं संग्रहणीय है।
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समय एवं परिस्थितियों के अनुसार सदैव परिवर्तन भारतीय शिक्षा व्यवस्था से इसके कर्णधार अर्थात शिक्षक भी सदैव प्रभावित होते रहे हैं। इन प्रभावों की परिणति शिक्षक की स्थिति, प्रभावों एवं समाज में उनकी छवि के रूप में प्रकटित होती है। भारत जैसे प्रगतिशील समाज में शिक्षक की भूमिका और भी अधिक प्रभावित बनती जा रही है। प्रस्तुत अध्ययन समाजिक परिवर्तन की दृष्टि से साप्रंत भारत के शिक्षक की भूमिका को उजागर करता है। अध्ययन में शिक्षक के व्यक्तित्व, उसके विचारों, प्रत्याशाओं एवं मूल्यों तथा सामाजिक परिवर्तन के अभिकर्त्ता के रूप में उसका प्रकर्यात्मक मूल्याँकन करने का प्रयास किया गया है। प्रस्तुत ग्रन्थ शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्माताओं, प्रशासकों, समाज सुधारकों, राजनीतिवेताओं, समाजशास्त्रियों तथा शिक्षा में रुचि रखने वाले समस्त लोगों के लिए उपयोगी एवं संग्रहणीय है।

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