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Lokokti kosh

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; Rajpal; 1998Description: 239 pDDC classification:
  • H 415 SHA
Summary: लोकोक्तियां किसी समाज के अनुभव तथा उससे उपलब्ध ज्ञान का निचोड़ होती हैं। वे प्राचीनतम पुस्तकों से भी प्राचीन तथा वैविध्यपूर्ण होती हैं। समाज के सभी वर्गों के व्यक्ति उनसे हर समय लाभ उठा सकते हैं। लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा का सौंदर्य और सार्थकता बढ़ जाती है। अनेक वर्षों के परिश्रम से तैयार किया गया प्रस्तुत संकलन हिन्दी भाषी प्रदेश का समग्र प्रतिनिधित्व तो करता ही है, इसमें संस्कृत और उर्दू तथा फारसी से भी चुन-चुनकर लोकोक्तियां ली गई हैं। साथ में उनके अर्थ दिये गये हैं और श्रेष्ठ लेखकों की कृतियों से उदाहरण प्रस्तुत किये गये हैं। प्रसिद्ध कवि तुलसी, सूर, वृन्द, रहीम और नरोत्तमदास जैसे सुरुषियों की जनप्रिय उक्तियां भी संकलन में है जो इसका एक मुख्य आकर्षण है। इस प्रकार एक ही स्थान पर उपलब्ध यह संचित ज्ञान सभी प्रकार के पाठकों के लिए लाभदायक है।
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लोकोक्तियां किसी समाज के अनुभव तथा उससे उपलब्ध ज्ञान का निचोड़ होती हैं। वे प्राचीनतम पुस्तकों से भी प्राचीन तथा वैविध्यपूर्ण होती हैं। समाज के सभी वर्गों के व्यक्ति उनसे हर समय लाभ उठा सकते हैं। लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा का सौंदर्य और सार्थकता बढ़ जाती है।
अनेक वर्षों के परिश्रम से तैयार किया गया प्रस्तुत संकलन हिन्दी भाषी प्रदेश का समग्र प्रतिनिधित्व तो करता ही है, इसमें संस्कृत और उर्दू तथा फारसी से भी चुन-चुनकर लोकोक्तियां ली गई हैं। साथ में उनके अर्थ दिये गये हैं और श्रेष्ठ लेखकों की कृतियों से उदाहरण प्रस्तुत किये गये हैं। प्रसिद्ध कवि तुलसी, सूर, वृन्द, रहीम और नरोत्तमदास जैसे सुरुषियों की जनप्रिय उक्तियां भी संकलन में है जो इसका एक मुख्य आकर्षण है।
इस प्रकार एक ही स्थान पर उपलब्ध यह संचित ज्ञान सभी प्रकार के पाठकों के लिए लाभदायक है।

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